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रविवार, 23 जून 2024

युवाओं को अपनी संस्कृति, कला और विरासत से जोड़कर बनायें एक श्रेष्ठ नागरिक - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

युवा आने वाले कल के भविष्य हैं। इनमें आरम्भ से ही अपनी संस्कृति, कला, विरासत, नैतिक मूल्यों के प्रति आग्रह पैदा कर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया के इस अनियंत्रित दौर में उनमें अध्ययन, मनन, रचनात्मक लेखन और कलात्मक प्रवृत्तियों की आदत  न सिर्फ उन्हें नकारात्मकता से दूर रखेगी अपितु उनके मनोमस्तिष्क में अच्छे विचारों का निर्माण भी करेगी। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने नव भारत निर्माण समिति द्वारा 'भारतीय संस्कृति एवं योग' विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय चित्रकला प्रतियोगिता एवं कार्यशाला में पुरस्कार वितरण करते हुए बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। उक्त कार्यक्रम का आयोजन नव भारत निर्माण समिति द्वारा वाराणसी समेत पूर्वांचल के 16 जिलों के 14-22 आयु वर्ग के विद्यार्थियों पर केंद्रित 'इन्हें पंख दें' अभियान के अंतर्गत किया गया था।







ऋषिव वैदिक अनुसंधान, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, शिवपुर, वाराणसी में आयोजित समारोह में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने वाराणसी मंडल के मुख्य कोषाधिकारी श्री गोविन्द सिंह, अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार श्री एस. प्रणाम सिंह के साथ विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। पूजा सिंह चौहान, पालक प्रजापति, पालक कुमारी को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय पुरस्कार मिला वहीं संतोषी वर्मा, सचिन सेठ, स्नेहा वर्मा, रोशनी वर्मा, मानसी पांडेय, अर्चिता, महिमा को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। सभी को मेडल, प्रशस्ति पत्र और नकद राशि सम्मान स्वरूप दी गई।






पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आज की व्यस्त लाइफ स्टाइल में न सिर्फ शारीरिक बल्कि संवेदना के स्तर पर मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक सशक्तिकरण भी जरूरी है। योग हमारी प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है I 'योग: कर्मसु कौशलम्' के माध्यम से भारतीय संस्कृति की इस अमूल्य और विलक्षण धरोहर को वैश्विक स्तर पर अपनाया गया है। योग मन और शरीर, विचार और क्रिया की एकता का प्रतीक है जो मानव कल्याण के लिए मूल्यवान है।  श्री यादव ने कहा कि नव भारत निर्माण समिति ने 'बनारस लिट फेस्ट : काशी साहित्य, कला उत्सव' के माध्यम से भी लोगों को जोड़ा है, उसी कड़ी में युवाओं हेतु आयोजित  'इन्हें पंख दें' अभियान को भी देखा जाना चाहिए। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित एवं सशक्त राष्ट्र बनाने में युवाओं का अहम योगदान है।  





कार्यक्रम का संचालन बृजेश सिंह, सचिव नव भारत निर्माण समिति ने किया। इस अवसर पर कर्नल संदीप शर्मा, धवल प्रसाद, आर्ट क्यूरेटर राजेश सिंह, डाॅ अपर्णा, डाॅ गीतिका, शालिनी, प्रवक्ता मुकेश सिंह, सतीश वर्मा, धर्मेंद्र कुमार, योग प्रशिक्षक प्रणव पाण्डेय, कमलदीप ,ममता जी आदि उपस्थित थे।

 





 








 युवाओं को अपनी संस्कृति, कला और विरासत से जोड़कर बनायें एक श्रेष्ठ नागरिक -  पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

नव भारत निर्माण समिति द्वारा 'इन्हें पंख दें' अभियान के विजेताओं को पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया पुरस्कृत

स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को  विकसित एवं सशक्त राष्ट्र बनाने में युवाओं का अहम योगदान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव



 


मंगलवार, 18 जून 2024

University of Allahabad Alumni Meet : इलाहाबाद विश्वविद्यालय एल्युमिनाई मीट में...

देश के जाने माने यूनिवर्सिटी में से एक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रथम आधिकारिक एल्युमिनाई मीट का आयोजन 27 और 28 अप्रैल, 2024 को किया गया।  देश भर में यह विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान रखता है। इस विश्वविद्यालय से निकलकर देश के लगभग सभी क्षेत्र में छात्र-छात्राएं अपनी पहचान बनाए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की देश में एक अलग पहचान है। इसने देश को तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। आज भी इनके कार्यों की सराहना की जाती है। इनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर और गुलजारीलाल नंदा का नाम शामिल है। 

देश के इन दिग्गजों को एक मंच पर लाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से 1996 बैच के पहले पुराछात्रों का एक सम्मेलन आयोजित कराया गया। यहां अब कई दिग्गज एक साथ एक मंच साझा करते हुए अपने जीवन में विश्वविद्यालय के योगदान एवं उसकी यादों को साझा किया। समारोह में सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के कई वर्तमान और सेवानिवृत्त जज शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति पंकज मित्थल, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति वीएन खरे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विनीत सरन इत्यादि सहित इलाहाबाद होईकोर्ट के 40 जज समेत कई अन्य राज्यों के हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति भी समारोह में शामिल हुए।  इनके अलावा देश-प्रदेश में शीर्ष पदों पर काबिज अफसर, फिल्मी हस्तियाें समेत कई प्रमुख लोग समारोह का हिस्सा बने और पुरानी यादों को ताजा करने के साथ अपने अनुभव साझा किये। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रथम आधिकारिक एल्युमिनाई मीट (27-28 अप्रैल, 2024) में शामिल हुआ, जिसे कि University of Allahabad Alumni Association (UoAAA) के तत्वावधान में आयोजित किया गया। प्रथम दिन कुलाधिपति श्री आशीष कुमार चौहान, कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, UoAAA के अध्यक्ष प्रो. हेराम्ब चतुर्वेदी और सचिव प्रो. कुमार वीरेंद्र द्वारा दीप प्रज्वलन कर सम्मेलन का औपचारिक शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह में शामिल होने के बाद आर्ट एक्जिबिशन एवं फूड फेस्टिवल, सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया। 











भारतीय हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया से भी मुलाकात हुई। उन्होंने अपना कैरियर शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन से बतौर अतिथि निर्देशक शुरू किया था। वे भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि कि मैं भले ही मुंबई में रहता हूं लेकिन मेरे दिल में हमेशा इलाहाबाद बसता है।  हमारे जीवन में प्रोफेसर पीके घोष और प्रोफेसर अमर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 




दूसरे दिन शाम को Reminiscences and the Future Ahead : The Open Mike  में अन्य पुरा छात्रों के साथ अपने विचार व्यक्त किये, वहीं देर शाम को मशहूर कवि कुमार विश्वास  सहित संदीप भोला, कविता तिवारी, राजीव राज, प्रियांशु गजेंद्र की कविताओं का आनंद लिया। 





इलाहाबाद विश्वविद्यालय का मेयो बिल्डिंग सबसे प्राचीन बिल्डिंग है. जिसमे पहले मेयो कॉलेज चला करता था. जो कि कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रखता था. लेकिन 23 सितंबर 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना के बाद से ये विश्विद्यालय के विज्ञान संकाय का विभाग बना. जिसमे आज भी भौतिक विज्ञान से सम्बंधित कई शोध कर कीर्तिमान स्थापित किया . इसी बिल्डिंग में ही मैथमेटिक्स की कक्षाएं संचालित होती हैं.






अपने पुराछात्रों के स्वागत के लिए विश्वविद्यालय का परिसर विशेष तरह से सजाया गया। पूरे विश्वविद्यालय को रोशनी में डूबा दिया गया था।  विज्ञान संकाय एवं कला संकाय की शोभा इस कदर झलक रही थी कि मानो चंद्रमा रात में विश्वविद्यालय में उतर गया हो। इसके साथ हिंदी गजल, भजन एवं नृत्य के साथ पुरानियों का स्वागत किया गया।  इनके खान पान का ख्याल रखते हुए फूड कोर्ट एवं प्रदर्शनी भी लगाई गई।  वही दिन में इन पुरानियों की नौका विहार ऊंट की सवारी की व्यवस्था संगम पर की गई। 

आज भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने अंदर इतिहास के तमाम पन्नों और सफलताओं की गाथाओं को संजोये हुए है। यहाँ से निकले पुरा-विद्यार्थियों ने राजनीति, प्रशासन, विधि एवं न्याय, शिक्षा, साहित्य, कला, पत्रकारिता, बुद्धिजीविता, समाज सेवा इत्यादि तमाम क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये हैं। 











जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर, आज़मगढ़  से 12वीं के बाद हमने भी यहीं से बी.ए (1994-97, राजनीति शास्त्र, दर्शन शास्त्र, प्राचीन इतिहास) और एम.ए. (1997-99, राजनीति शास्त्र) की उपाधि धारण की। वर्ष 2000 की सिविल सेवा परीक्षा में चयन पश्चात वर्ष 2001 में इलाहाबाद हमने छोड़ दिया, परन्तु आज भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय हमारे अंदर जीवंत है। यह से जुड़ी तमाम खट्टी-मीठी यादें अभी को मन को स्पन्दित करती हैं। फ़िलहाल, इस पुरातन छात्र सम्मेलन के बहाने इलाहाबाद वि.वि. में तमाम पुराने भवन रंगरोगन और लाइटिंग के साथ चमक उठे। आशा की जानी चाहिए कि एक दौर में आई.ए.एस और साहित्यकारों की फैक्ट्री माने जाने वाले 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' नाम से विख़्यात इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने उस पुराने वैभव को पाने के लिए भी सजग प्रयास करेगा, जिसके लिए इसकी देश-दुनिया में ख्याति रही है।