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रविवार, 25 फ़रवरी 2024

Azamgarh Sahitya Mahotsav 2024 : साहित्य, कला, संस्कृति में नए आयाम खोले हैं डिजिटल युग ने - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

डिजिटल युग में साहित्य देशज से भूमंडलीकरण की ओर बढ़ रहा है। साहित्य, कला, संस्कृति सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं में डिजिटल युग ने महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। साहित्यकार, प्रकाशक, संपादक से लेकर पाठक तक सभी के लिए डिजिटल साहित्य ने संभावनाओं के लिए नए द्वार खोले हैं। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल एवं ख्यात ब्लॉगर व साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव ने आज़मगढ़ साहित्य महोत्सव में 'डिजिटल युग में साहित्य पर परिचर्चा' सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।




श्री हरिऔध कला केंद्र, आज़मगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय 'आज़मगढ़ साहित्य महोत्सव' (23-25 फरवरी) के दूसरे दिन आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, हिन्दी और अन्य भाषाओं में साहित्य के विकास के लिए केवल सूचना प्रौद्योगिकी, आधुनिक तकनीकी एवं नवाचारी विचारों को मूर्त रूप देना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि निरंतर विकासमान डिजिटल प्रौद्योगिकी के साथ इनके अनवरत उन्नयन एवं संवर्द्धन की गति को बढ़ाने की भी आवश्यकता है। वैश्वीकरण के दौर में वेबसाइट्स, ई-बुक्स, ई-पत्रिका, वेब-पत्रिका, ब्लॉग, सोशल मीडिया, पॉड कॉस्टिंग, चैट जीपीटी, मशीन लर्निंग, कृत्रिम मेधा ने साहित्य को नये क्षितिज प्रदान किए हैं। साहित्य मनुष्य की सोच को व्यापक बनाता है, ऐसे में जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा साहित्य को डिजिटल बनाया जाए ताकि वह सर्वसुलभ हो सके। श्री यादव ने कहा कि, लिखे हुए साहित्य की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी। इंटरनेट की आभासी दुनिया असंभावित संभावनाओं की ओर ले जा रही है, पर मात्र गूगल कंटेंट के भरोसे न रहकर अपनी स्मृति और मौलिकता का लोप होने से बचाना होगा। 

श्री यादव ने कहा कि, डिजिटल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया ने साहित्य में लोकतंत्र और संवाद को बढ़ावा दिया है, पर इसकी आड़ में पनपते फेक न्यूज और गलत तथ्यों से भी सतर्क रहने की जरूरत है। साहित्य समाज के लिए सदैव रोशनी का कार्य करता है, ऐसे में डिजिटल युग में साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों की भूमिका और भी बढ़ जाती है। 

श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आज़मगढ़ रचनात्मक रूप से सदैव उर्वर रहा है। देश ही नहीं विदेशों में भी यहां के लोग अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रहे हैं। ऐसे में डिजिटल सहित्य के माध्यम से आज़मगढ़ की विभूतियों, प्रमुख स्थानों, रचना कर्म और उपलब्धियों के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए नई पीढ़ियों को भी जोड़ा जा सकता है। उन्होंने राहुल सांकृत्यायन का जिक्र करते हुए कहा कि जिस दौर में इंटरनेट नहीं था, बौद्ध साहित्य की खोज में उन्होंने पूरी दुनिया का चक्कर लगाया और ज्ञान के भंडार को संरक्षित किया। उन्होंने आज़मगढ़ की मिटटी से जुड़े पं.अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', राहुल सांकृत्यायन, शिब्ली नोमानी, चन्द्रबली पांडेय, कैफी आजमी एवं अन्य साहित्यकारों-शिक्षाविदों के अवदान के बारे में भी युवा पीढ़ी को जोड़ने पर जोर दिया। 


कार्यक्रम के आरंभ में आज़मगढ़ के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) श्री भगत आज़ाद एवं अन्य अधिकारियों ने पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव को पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।   

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश बर्नवाल कुंद, डॉ. प्रवेश सिंह, श्री घनश्याम यादव, डॉ. जयप्रकाश यादव ने भी विचार रखे। 


वहीं, प्रथम सत्र में आज़मगढ़ मंडल के मंडलायुक्त श्री मनीष चौहान एवं जिलाधिकारी श्री विशाल भारद्वाज द्वारा  दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मंडलायुक्त ने हरिऔध कला केंद्र में उपस्थित छात्र/छात्राओं, साहित्यकारों, कवियों एवं लेखकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आजमगढ़ में पहली बार साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। विभिन्न कार्यों के साथ ही यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, इसके लिए समय अवश्य निकालना चाहिए, इससे हमें रचनात्मक एवं ऊर्जा देने के साथ ही सोचने की क्षमता को बढ़ाता है। उन्होने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में यह बहुत अच्छी शुरुआत है, जिससे कहानियां, कॉमिक्स एवं पुस्तकों को पढ़ लोग पहले इससे जुड़ते थे। उन्होंने कहा कि अब डिजिटल युग आ गया है, बच्चे ऑनलाइन चीजों से जुड़ने लगे हैं, इस समय में इस प्रकार के आयोजनों की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है। इस प्रकार के आयोजन से बच्चों को और अधिक जुड़ना चाहिए, जिससे इनको पता चले कि हमारी साहित्यिक धरोहर कितनी समृद्धशाली है, हमारे रचनाकारों ने कितनी अच्छी रचनाएं की हैं, चाहे वह कहानी हो, कविता हो, नाटक हो या अन्य प्रकार की रचना हो, यह सब हमारे साहित्यिक, सांस्कृतिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि यदि समाज एवं अपने इतिहास को समझना है तो यह सब भी पढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि किसी साहित्यकार की कोई भी रचना हो, चाहे कहानी, कविता, नाटक या किसी प्रकार की साहित्य रचना हो, यह सब हमारी अमूल्य धरोहर है।

आज़मगढ़ के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) श्री भगत आज़ाद ने आभार ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि आज़मगढ़ के साहित्यिक अवदान को डिजिटलीकरण करने के लिए भी पहल की जा रही है।

कार्यक्रम में डॉ. गीता सिंह, डॉ अखिलेश चन्द्र, कन्हैया लाल अस्थाना, प्रो. वेद प्रकाश उपाध्याय, प्रो. अलाउद्दीन शिबली, इलियास आजमी, उमेश चंद श्रीवास्तव, डॉ. जयप्रकाश, सरोज यादव, डॉ. इंदु, शिवप्रसाद शर्मा, प्रो. जगदंबा दुबे, शैलेंद्र, श्रीमती स्नेहलता, राकेश पांडेय, घनश्याम यादव, रामबचन यादव, संजय कुमार पांडेय, रत्नेश राय, डॉ. अखिलेश सिंह, अतुल कुमार यादव सहित तमाम साहित्यकार, कवि, बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। 
















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