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बुधवार, 7 दिसंबर 2022

मशहूर शायर नज़ीर 'बनारसी' की 113वीं जयंती पर 'नज़ीर बनारसी यादों के आईने में' पुस्तक का विमोचन

गंगा-जमुनी तहजीब और बनारसी मिजाज के मशहूर शायर नज़ीर 'बनारसी' की 113वीं जयंती के उपलक्ष्य में नज़ीर बनारसी एकेडमी और डॉ. अमृत लाल इशरत मेमोरियल सोसाइटी के संयुक्त तत्त्वाधान में नागरी नाटक मंडली, वाराणसी में 28 नवंबर, 2022 को आयोजित समारोह में 'नज़ीर बनारसी यादों के आईने में' पुस्तक का विमोचन संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र, मुख्य अतिथि पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव और मंचासीन गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया। 

अध्यक्षता करते हुए संकट मोचन मंदिर, वाराणसी के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि नज़ीर 'बनारसी' बेनजीर थे। वे काशी के फकीर थे। उन्होंने बनारस की रूह को समझा इसलिए इस शहर ने उन्हें स्वीकार किया। नज़ीर 'बनारसी' ने बनारसीपन को निभाया। अपनी शायरी में भी गंगा को जिया। अपनी रचनाओं के माध्यम से वे सदैव जिंदा रहेंगे।  

मुख्य अतिथि वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि नज़ीर 'बनारसी' की सबसे बड़ी ख़ूबी उनकी भाषा की जन-सम्प्रेषणीयता है। मुहब्बत, भाईचारा, देशप्रेम उनकी शायरी और कविताओं की धड़कन है। नज़ीर 'बनारसी' की शायरी और उनकी कविताएँ आगामी पीढ़ियों के लिए धरोहर हैं। इससे युवाओं को जोड़ने की जरुरत है। अगर हम इस मुल्क और उसके मिज़ाज को समझना चाहते हैं, तो नज़ीर 'बनारसी' को जानना और समझना होगा। 


मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि मोहब्बत के नाजुक एहसासों और जरूरतों को नज़ीर 'बनारसी' ने बड़े सलीके से शायरी और गजलों की शक्ल दी। वे मजहबी एकता कायम करने के फनकार थे। बीएचयू उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने बीएचयू में अमृत लाल इशरत और नज़ीर 'बनारसी' के नाम पर गोल्ड मेडल की शुरुआत करने की जरूरत बताई। प्रख़्यात शायर डॉ. माजिद देवबंदी ने कहा कि हम बच्चों को आधुनिक तालीम तो दें लेकिन हिंदी और उर्दू जुबान भी पढ़ाएं। डॉ. अमृत लाल इशरत मेमोरियल के अध्यक्ष दीपक मधोक ने नज़ीर 'बनारसी' और अपने पिता अमृतलाल इशरत का संस्मरण सुनाया। प्रसिद्ध गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने नज़ीर 'बनारसी' की रचनाधर्मिता पर प्रकाश डालते हुए उनसे जुड़े प्रसंगों को साझा किया। नज़ीर बनारसी एकेडमी के अध्यक्ष मो. सगीर ने बताया कि नज़ीर  'बनारसी' की प्रमुख किताबों में गंगो जमन, जवाहिर से लाल तक, ग़ुलामी से आज़ादी तक, चेतना के स्वर, किताबे ग़ज़ल, राष्ट्र की अमानत राष्ट्र के हवाले, कौसरो ज़मज़म शामिल हैं। लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट निदेशक आर्यमा सान्याल ने जीवन में उत्सव नामक अपनी रचना सुनाई। स्वागत अकादमी के अध्यक्ष मो. सगीर, संचालन इशरत उस्मानी और धन्यवाद रेयाज अहमद ने किया।






बेनज़ीर थे नज़ीर 'बनारसी' - संकट मोचन मंदिर महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र

नज़ीर 'बनारसी' की शायरी व कविताएँ आगामी पीढ़ियों के लिए धरोहर - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव 

शनिवार, 30 जुलाई 2022

Munshi Premchand Birth Anniversary : आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे मुंशी प्रेमचंद - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

वाराणसी। मुंशी प्रेमचंद एक साहित्यकार, पत्रकार और अध्यापक के साथ ही आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे। एक पत्रकार को कभी भी पक्षकार नहीं होना चाहिए, उसे अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। प्रेमचन्द ने अपने को किसी वाद से जोड़ने की बजाय तत्कालीन समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा। उनका साहित्य शाश्वत है और यथार्थ के करीब रहकर वह समय से होड़ लेती नजर आती हैं। उक्त उद्गार चर्चित साहित्यकार एवं वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने 'मुंशी प्रेमचंद लमही महोत्सव-2022' के क्रम में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश और महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में 'प्रेमचंद : अध्यापक और पत्रकार' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। 


उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का समाज के अंतिम व्यक्ति से विशेष अनुग्रह था और समाज की विसंगतियों पर उनकी कलम हमेशा चला करती थी। उनकी कहानी, उपन्यासों और पटकथाओं में सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार होता था। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लमही, वाराणसी में जन्मे डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की नई इबारत  लिखी। आज भी तमाम साहित्यकार व शोधार्थी लमही में उनकी जन्मस्थली की यात्रा कर प्रेरणा पाते हैं।


इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रणय कृष्ण ने बतौर मुख्य अतिथि एक अध्यापक और पत्रकार के रूप में प्रेमचंद की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने प्रेमचंद के जीवन की कुछ घटनाओं का भी जिक्र किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बलिराज पांडेय ने कहा कि प्रेमचंद जाति धर्म और आर्थिक विषमता की गाँठों को तोड़ना चाहते थे। संगोष्ठी में प्रो. बसंत त्रिपाठी, प्रो. सुरेन्द्र प्रताप, प्रो नीरज खरे, डॉ. रविनन्दन सिंह ने विचार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के वाराणसी प्रभारी डॉ. आर एस चौहान ने कहा कि जन-जन तक प्रेमचंद पहुंचे इसके लिए यूट्यूब और फेसबुक चैनल पर इस विचार गोष्ठी का लाइव प्रसार किया जा रहा है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र के प्रभारी सुभाष चन्द्र यादव ने कहा कि प्रेमचंद न सिर्फ एक साहित्यकार बल्कि एक कुशल पत्रकार भी थे। विषय प्रवर्तन करते हुए काशी विद्यापीठ हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. निरंजन सहाय ने कहा कि शिक्षक असाधारण होता है। प्रेमचंद एक असाधारण शिक्षक थे। प्रेमचंद के बहुत सारे आयाम है, जिस पर प्रकाश डालने की जरूरत है। प्रेमचंद को केवल साहित्यकार ही नहीं बल्कि अध्यापक के रूप में भी उनकी जीवनी को पढ़ा जाना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो अनुराग कुमार ने कहा कि प्रेमचंद ने कभी भी अपनी लेखनी से समझौता नहीं किया। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों और समसामयिक मुद्दों को अपनी लेखनी के केन्द्र में रखा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रीति ने किया।









आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे मुंशी प्रेमचंद - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

समाज की विसंगतियों पर सदैव कलम चलाई मुंशी प्रेमचंद ने - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

' मुंशी प्रेमचंद लमही महोत्सव-2022' के क्रम में संस्कृति विभाग, उ.प्र. और काशी विद्यापीठ की ओर से राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

सोमवार, 17 जनवरी 2022

विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में तत्पर पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव का परिवार

'विश्व हिन्दी दिवस' प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना व हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। हिंदी को लेकर तमाम संस्थाएँ, सरकारी विभाग व विद्वान अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का अनूठा परिवार ऐसा भी है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी की अभिवृद्धि के लिए  न सिर्फ प्रयासरत हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कई देशों में सम्मानित हैं।

वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के परिवार में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी सुश्री आकांक्षा यादव और दोनों बेटियाँ अक्षिता व अपूर्वा भी हिंदी को अपने लेखन से लगातार नए आयाम दे रही हैं। देश-दुनिया की तमाम पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ श्री कृष्ण कुमार यादव की 7 और पत्नी आकांक्षा की 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में इस परिवार का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अग्रणी है।

'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति' सम्मान से विभूषित यादव दम्पति को नेपाल, भूटान और श्रीलंका में आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन' में 'परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान' सहित अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में सुश्री आकांक्षा यादव के ब्लॉग 'शब्द-शिखर' को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है।

सनबीम स्कूल, वरुणा, वाराणसी में अध्ययनरत इनकी दोनों बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा भी इसी राह पर चलते हुए अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के बावजूद हिंदी में सृजनरत हैं। अपने ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' हेतु अक्षिता को भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, श्रीलंका (2015) में भी अक्षिता को “परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। अपूर्वा ने भी कोरोना महामारी के दौर में अपनी कविताओं से लोगों को सचेत किया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि, सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। वहीं, सुश्री आकांक्षा यादव का मानना है कि हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ भारत की भावनात्मक एकता को मजबूत करने का सशक्त माध्यम है। आप विश्व में कहीं भी हिन्दी बोलेगें तो आप एक भारतीय के रूप में ही पहचाने जायेंगे।  











Live Vns : विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों से हिंदी के विकास में लगा है पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव का परिवार

पत्रिका : विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में जुटा है पोस्टमास्टर जनरल का परिवार

हिंदुस्तान : आदर्श हिंदी सेवक है पोस्टमास्टर जनरल का परिवार