जोधपुर की धरती कहने को तो मरुस्थली है, पर साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। यहाँ आने पर तमाम साहित्यकारों से मुलाकात हुई। हाल ही में हमारे आवास पर हुई एक मुलाकात की ग्रुप फोटो : प्रसिद्ध समालोचक और संपादक डॉ. रमाकांत शर्मा, रिटायर्ड जज और वरिष्ठ साहित्यकार श्री मुरलीधर वैष्णव, वरिष्ठ लेखक डॉ. हरिदास व्यास, चर्चित कवयित्री व लेखिका डॉ. पद्मजा शर्मा, चर्चित ब्लॉगर लेखिका आकांक्षा यादव, साहित्यकार व ब्लॉगर कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएं, राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर, और प्यारी बेटियाँ नन्ही ब्लॉगर और राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा।
इस ब्लॉग पर आप रूबरू होंगे कृष्ण कुमार यादव की साहित्यिक रचनात्मकता और अन्य तमाम गतिविधियों से...
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मंगलवार, 17 अप्रैल 2018
जोधपुर में एक आत्मीय मुलाकात
नए शहर में जाइए तो तमाम नए लोगों से मुलाकात होती है। प्रशासन से लेकर साहित्य-कला-संस्कृति में अभिरुचि रखने वालों से। इनमें से कई ऐसे होते हैं, जिनकी रचनाधर्मिता से हम अक्सर रूबरू होते हैं, पर मुलाकात का कोई सुयोग नहीं बना होता है। सोशल मीडिया और वर्चुअल लाइफ से परे इसी क्रम में जोधपुर में मुलाकात हुई रिटायर्ड जज और वरिष्ठ साहित्यकार श्री मुरलीधर वैष्णव जी से। उम्र के इस पड़ाव पर भी आपकी सक्रियता देखते बनती है। बेहद आत्मीय और संवेदनशील व्यक्तित्व !!
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भारत के आदिवासी : चुनौतियाँ एवं सम्भावनाएँ
वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तक "भारत के आदिवासी : चुनौतियाँ एवं सम्भावनाएँ" प्राप्त हुई। इस पुस्तक में मेरा लेख "अस्तित्व के लिए जूझते अण्डमान-निकोबार के आदिवासी" भी शामिल है। पुस्तक के सम्पादक डॉ. जनक सिंह मीना, असिस्टेंट प्रोफेसर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर एवं जनरल सेक्रेटरी, न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सोसायटी ऑफ़ इण्डिया ने इस पुस्तक में काफी श्रम किया है। 243 पृष्ठों की इस पुस्तक में आदिवासी विमर्श पर कुल 23 लेख समाहित हैं।
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