हिंदी साहित्य और ब्लाॅग पर संस्मरणात्मक सृजन के लिए चर्चित ब्लाॅगर व साहित्यकार एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव को 15-18 जनवरी 2015 के दौरान भूटान में आयोजित होने वाले चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान में 25,000 रूपये की धनराशि, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रीफल और अंगवस्त्र दिया जायेगा। उक्त जानकारी सम्मलेन के संयोजक श्री रवीन्द्र प्रभात ने दी।
कृष्ण कुमार यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लाॅगिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव के दो व्यक्तिगत ब्लॉग हैं । इनमें “शब्द सृजन की ओर“ (http://kkyadav.blogspot.in/) ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों से परिपूर्ण है; वहीं “डाकिया डाक लाया“ (http://dakbabu.blogspot.in/) में डाक सेवाओं का इतिहास है, डाक सेवाओं से जुड़ी महान विभूतियों के बारे में जानकारी है, खतों की खुशबू है, डाक टिकटों की रोचक दुनिया सहित तमाम आयामों को यह ब्लाॅग सहेजता है। इन ब्लाॅंग को अब तक लाखों लोगों ने पढा है और करीब सौ ज्यादा देशों में इन्हें देखा-पढा जाता है।
गौरतलब है कि श्री यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे पूर्व भी न्यू मीडिया और ब्लॉगिंग हेतु तमाम प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा “अवध सम्मान“, हिंदी ब्लॉगिंग के दशक वर्ष में सपत्नीक “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान, नेपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में “परिकल्पना साहित्य सम्मान“ इत्यादि शामिल हैं ।
सम्मेलन के दौरान वैश्विक परिप्रेक्ष्य विशेषकर सार्क देशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार, न्यू मीडिया के रूप में ब्लाॅगिंग के विभिन्न आयामों एवं बदलते दौर में सोशल मीडिया की भूमिका इत्यादि विषयों पर भी चर्चा होगी। गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी भूटान यात्रा के दौरान भारत-भूटान के मध्य ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों की चर्चा करते हुए परस्पर सद्भाव व सहयोग की बात कही थी। भूटान में आयोजित यह अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन भी निश्चिततः उसी कड़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा।
(साभार)
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