सृष्टि में नव-रत्नों की बड़ी महिमा गाई गई है और हम भी अपने जीवन में नौ अंक के बहुत करीब हैं. 28 नवम्बर का दिन हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. 28 नवम्बर, 2013 को हमारी (कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव) शादी की 9 वीं सालगिरह है। दाम्पत्य के साथ-साथ साहित्य और ब्लागिंग में भी सम्मिलित सृजनशीलता की युगलबंदी करते हुए जीवन के इस सफ़र में दिन, महीने और फिर साल कितनी तेजी से पंख लगाकर उड़ते चले गए, पता ही नहीं चला। आज हम वैवाहिक जीवन के 9 वर्ष पूरे करके 10 वें वर्ष में प्रवेश करेंगें। वैसे भी 9 हमारा पसंदीदा नंबर है।
जीवन के इस प्रवाह में सुख-दुःख के बीच सफलता के तमाम आयाम हमने एक साथ छुए. कभी जिंदगी सरपट दौड़ती तो कई बार ब्रेक लग जाता. एक-दूसरे के साथ बिताये गए ये नौ साल सिर्फ इसलिए नहीं महत्वपूर्ण हैं कि हमने जीवन-साथी के संबंधों का दायित्व प्रेमपूर्वक निभाया, बल्कि इसलिए भी कि हमने एक-दूसरे को समझा, सराहा और संबल दिया. अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि प्रशासनिक व्यस्तताओं के बीच कैसे समय निकल लेते हैं तो इसके पीछे आकांक्षा जी का ही हाथ है. यदि उन्होंने मेरी रचनात्मकता को सपोर्ट नहीं किया होता तो मैं आज एक अदद सिविल सर्वेंट मात्र होता, लेखक-कवि-साहित्यकार के तमगे मेरे साथ नहीं लगे रहते. यह हमारा सौभाग्य है कि हम दोनों साहित्य प्रेमी हैं और कई सामान रुचियों के कारण कई मुद्दों पर खुला संवाद भी कर लेते हैं। एक-दूसरे की रचनात्मकता को सपोर्ट करते हुए ही आज हम इस मुकाम पर हैं...!!
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