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गुरुवार, 26 जनवरी 2012

आन-बान से लहराता


तीन रंगों का प्यारा झण्डा
राष्ट्रीय ध्वज है कहलाता
केसरिया, सफेद और हरा
आन-बान से यह लहराता

चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता

अमर शहीदों की वीरता और
बलिदान की याद दिलाता
कैसे स्वयं को किया समर्पित
इसकी झलक दिखलाता

आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।

कृष्ण कुमार यादव

7 टिप्‍पणियां:

Bhanwar Singh ने कहा…

आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।

..bahut sundar geet..badhai.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सार्थकता से भरा गीत..

Unknown ने कहा…

गणतंत्र...जनतंत्र..मुबारक हो !!

Unknown ने कहा…

गणतंत्र...जनतंत्र..मुबारक हो !!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता

..Behatrin..!!

Akanksha Yadav ने कहा…

तिरंगे को बड़े सार्थक रूप में उतार दिया है इस कविता में..बधाई.

Bhanwar Singh ने कहा…

गणतंत्र की जय हो..चुनावों में अपना मताधिकार सोच-समझकर इस्तेमाल करें.