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सोमवार, 30 जनवरी 2012

गाँधी जी जैसे इतिहास पुरूष...










गाँधी जी जैसे इतिहास पुरूष
इतिहास में कब ढल पाते हैं
बौनी पड़ जाती सभी उपमायें
शब्द भी कम पड़ जाते हैं ।

सत्य-अहिंसा की लाठी
जिस ओर मुड़ जाती थी
स्वातंत्रय समर के ओज गीत
गली-गली सुनाई देती थी।

बैरिस्टरी का त्याग किया
लिया स्वतंत्रता का संकल्प
बन त्यागी, तपस्वी, सन्यासी
गाए भारत माता का जप।

चरखा चलाए, धोती पहने
अंग्रेजों को था ललकारा
देश की आजादी की खातिर
तन-मन-धन सब कुछ वारा।

हो दृढ़ प्रतिज्ञ, संग ले सबको
आगे कदम बढ़ाते जाते
गाँधी जी के दिखाये पथ पर
बलिदानी के रज चढ़ते जाते।

हाड़-माँस का वह मनस्वी
युग-दृष्टा का था अवतार
आलोक पुंज बनकर दिखाया
आजादी का तारणहार।

भारत को आजाद कराया
दुनिया में मिला सम्मान
हिंसा पर अहिंसा की विजय
स्वातंत्रय प्रेम का गायें गान।

( - कृष्ण कुमार यादव : महात्मा गाँधी जी की पुण्य तिथि पर सादर श्रद्धांजलिस्वरूप यह कविता...)

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

आन-बान से लहराता


तीन रंगों का प्यारा झण्डा
राष्ट्रीय ध्वज है कहलाता
केसरिया, सफेद और हरा
आन-बान से यह लहराता

चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता

अमर शहीदों की वीरता और
बलिदान की याद दिलाता
कैसे स्वयं को किया समर्पित
इसकी झलक दिखलाता

आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।

कृष्ण कुमार यादव

मंगलवार, 17 जनवरी 2012

आकांक्षा यादव को मानद डाक्टरेट की उपाधि

विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार के सोलहवें महाधिवेशन (13-14 दिसंबर, 2011)में युवा कवयित्री, साहित्यकार एवं चर्चित ब्लागर आकांक्षा यादव को मानद डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की उपाधि से विभूषित किया गया। आकांक्षा यादव को मानद डाक्टरेट की इस उपाधि के लिए उनकी सुदीर्घ हिंदी सेवा, सारस्वत साधना, शैक्षिक प्रदेयों, राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में महनीय शोधपरक लेखन के द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा के आधार पर अधिकृत किया गया। उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में उज्जैन विश्वविद्यालय के कुलपति ने यह उपाधि प्रदान की।

गौरतलब है कि आकांक्षा यादव की रचनाएँ देश-विदेश की शताधिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित हो रही हैं। नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रूचि रखने वाली आकांक्षा यादव के लेख, कवितायें और लघुकथाएं जहाँ तमाम संकलनों /पुस्तकों की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीं आपकी तमाम रचनाएँ आकाशवाणी से भी तरंगित हुई हैं। पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ इंटरनेट पर भी सक्रिय आकांक्षा यादव की रचनाएँ तमाम वेब/ई-पत्रिकाओं और ब्लॉगों पर भी पढ़ी-देखी जा सकती हैं। व्यक्तिगत रूप से ‘शब्द-शिखर’(http://shabdshikhar.blogspot.com) और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’ (http://balduniya.blogspot.com),‘सप्तरंगी प्रेम’ (http://saptrangiprem.blogspot.com) व ‘उत्सव के रंग’ (http://utsavkerang.blogspot.com) ब्लॉग का संचालन करने वाली आकांक्षा यादव न सिर्फ एक साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं, बल्कि सक्रिय ब्लागर के रूप में भी उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। ’क्रांति-यज्ञ: 1857-1947 की गाथा‘ पुस्तक का कृष्ण कुमार यादव के साथ संपादन करने वाली आकांक्षा यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व पर वरिष्ठ बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु ने ‘बाल साहित्य समीक्षा‘ पत्रिका का एक अंक भी विशेषांक रुप में प्रकाशित किया है।

मूलतः उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और गाजीपुर जनपद की निवासी आकांक्षा यादव वर्तमान में अपने पतिदेव श्री कृष्ण कुमार यादव के साथ अंडमान-निकोबार में रह रही हैं और वहां रहकर भी हिंदी को समृद्ध कर रही हैं। श्री यादव भी हिंदी की युवा पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर हैं और सम्प्रति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ पद पर पदस्थ हैं। एक रचनाकार के रूप में बात करें तो आकांक्षा यादव ने बहुत ही खुले नजरिये से संवेदना के मानवीय धरातल पर जाकर अपनी रचनाओं का विस्तार किया है। बिना लाग लपेट के सुलभ भाव भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें यही आपकी लेखनी की शक्ति है। उनकी रचनाओं में जहाँ जीवंतता है, वहीं उसे सामाजिक संस्कार भी दिया है।

इससे पूर्व भी आकांक्षा यादव को विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, ‘एस0एम0एस0‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, बिजनौर द्वारा ‘साहित्य गौरव‘ व ‘काव्य मर्मज्ञ‘, श्री मुकुन्द मुरारी स्मृति साहित्यमाला, कानपुर द्वारा ‘साहित्य श्री सम्मान‘, मथुरा की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘आसरा‘ द्वारा ‘ब्रज-शिरोमणि‘ सम्मान, मध्यप्रदेश नवलेखन संघ द्वारा ‘साहित्य मनीषी सम्मान‘ व ‘भाषा भारती रत्न‘, छत्तीसगढ़ शिक्षक-साहित्यकार मंच द्वारा ‘साहित्य सेवा सम्मान‘, देवभूमि साहित्यकार मंच, पिथौरागढ़ द्वारा ‘देवभूमि साहित्य रत्न‘, राजेश्वरी प्रकाशन, गुना द्वारा ‘उजास सम्मान‘, ऋचा रचनाकार परिषद, कटनी द्वारा ‘भारत गौरव‘, अभिव्यंजना संस्था, कानपुर द्वारा ‘काव्य-कुमुद‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ‘शब्द माधुरी‘, महिमा प्रकाशन, दुर्ग-छत्तीसगढ द्वारा ’महिमा साहित्य भूषण सम्मान’, अन्तर्राष्ट्रीय पराविद्या शोध संस्था,ठाणे, महाराष्ट्र द्वारा ‘सरस्वती रत्न‘, अन्तज्र्योति सेवा संस्थान गोला-गोकर्णनाथ, खीरी द्वारा ’श्रेष्ठ कवयित्री’ की मानद उपाधि, जीवी प्रकाशन, जालंधर द्वारा ’राष्ट्रीय भाषा रत्न’ इत्यादि शामिल हैं।

विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार के इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों में कार्यरत हिन्दी सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वान, शिक्षक-साहित्यकार, पुरातत्वविद्, इतिहासकार, पत्रकार और जन-प्रतिनिधि शामिल थे। उक्त जानकारी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के कुल सचिव डा. देवेंद्र नाथ साह ने दी।

दुर्गविजय सिंह ’दीप’
उपनिदेशक - आकाशवाणी (समाचार)
पोर्टब्लेयर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह

रविवार, 15 जनवरी 2012

अंडमान-निकोबार द्वीप पर्यटन उत्सव की सैर

जब सारा भारत ठण्ड से ठिठुर रहा होता है, उस संमय अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में मौसम सुहाना होता है. देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए यहाँ नवम्बर से फरवरी माह का संमय घूमने और मौज-मस्ती के करने के लिए उम्दा माना जाता है. खूबसूरत समुद्र-तट और लहरों की अठखेलियाँ, प्राकृतिक सौंदर्य, जैव-विविधता के बीच सेलुलर जेल और काला-पानी की ऐतिहासिकता पर्यटकों को रोमांचित करती है. समुद्र में सीप, मोलस्क, रंग-बिरंगी मछलियों के मध्य स्कूबा डाइविंग और स्नोरकलिंग का आनंद एक नए ही जीवन में ले जाता है.

ऐसे ही खुशनुमा अहसास के बीच जनवरी माह में आरंभ होता है- अंडमान-निकोबार द्वीप पर्यटन उत्सव. उत्सव क्या, मानिये पूरा भारत ही सिमट आता है. भिन्न-भिन्न प्रान्तों की संस्कृति के दर्शन यहाँ करने को मिलते हैं. इस साल मैं भी सपरिवार इस पर्यटन उत्सव में पहुंचा. राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आरंभ होने वाला द्वीप पर्यटन उत्सव पांच जनवरी को आरंभ होकर आज पंद्रह जनवरी को ख़त्म होगा. इस उत्सव में जहाँ तमाम सरकारी विभागों की गतिविधियाँ उनके स्टाल पर परिलक्षित होती हैं, वहीँ मुख्यभूमि से मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, दिल्ली और गोवा जैसे राज्यों के पर्यटन निगम भी अपने स्टॉल लगाकर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. द्वीप महोत्सव का उद्घाटन भले ही उपराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल भूपेन्द्र सिंह ने एक ही स्थान पर किया हो, पर यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. शाम को सड़कों पर निकालिए तो आपको संगीत की मधुर स्वर-लहरियां अपने चारों तरफ गुंजित होती सुनाई देंगीं. पोर्टब्लेयर के साथ-साथ द्वीपसमूह के अन्य पर्यटक स्थलों पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन चलता रहता है. इनमें डिगलीपुर, लोंग आइलैंड, नील, हैवलॉक, विम्बर्लीगंज और भातू बस्ती इत्यदि शामिल हैं।आई.टी.एफ. मैदान में आयोजित होने वाला हास्य कवि सम्मेलन तो इस कार्यक्रम की जन है, जहाँ मुख्यभूमि से तमाम चर्चित कवि अपनी रचनाओं से लोगों को बांधने के लिए पहुँचते हैं. स्थानीय कवियों का कवि-समेलन तो होता ही है. तमाम स्कूलों के बच्चे अंतर स्कूल नृत्य प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रोत्साहित होते हैं तो सेना और पुलिस की ओर से भी तमाम कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. रॉक बैंड ‘यूफोरिया’ का प्रदर्शन तो इस बार लाजवाब रहा.

पोर्टब्लेयर में आयोजित द्वीप पर्यटन उत्सव अब इन द्वीपों से बाहर भी अपनी रंगत बिखेरने लगा है. इसीलिए इसे पहली बार राष्ट्रीय प्रसारण में भी शामिल किया गया. उद्घाटन समारोह का दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल डी.डी. भारती से सीधा प्रसारण किया गया. सभी द्वीपों के अलावा बत्तीस अन्य राष्ट्रों में भी यह सीधा प्रसारण देखा गया. इसके अलावा दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारण चैनल डी.डी.वन पर द्वीप पर्यटन उत्सव पर बाइस मिनट की टी.वी.रिपोर्ट भी प्रसारित की गई.

इस बार पहली बार निकोबार में भी द्वीप पर्यटन उत्सव आयोजित किया गया. गौरतलब है कि निकोबार भारत का सबसे दूरस्थ क्षेत्र है और इंदिरा प्वाइंट भी यहीं पर स्थित है. जिला मुख्यालय कार निकोबार में निकोबार पर्यटन महोत्सव सात जनवरी से आरंभ होकर ग्यारह जनवरी तक चला. यहाँ भी पर्यटन उत्सव का उद्घाटन करने उपराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल भूपेन्द्र सिंह पहुंचे. विभिन्न विभागों के स्टॉल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों कि छटा के साथ-साथ निकोबारी संस्कृति को नजदीक से महसूस करने का अपना अलग ही लुत्फ़ है. वैसे भी अंडमान-निकोबार कि जनजातियों में अभी मात्र निकोबारी ही सभ्य हुए हैं, अन्य अभी भी आदिम अवस्था में ही हैं.

-कृष्ण कुमार यादव

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

कृष्ण कुमार यादव को विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा ’विद्यावाचस्पति’ की मानद उपाधि

विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार के सोलहवें महाधिवेशन (13-14 दिसंबर 2011) में युवा साहित्यकार एवं भारतीय डाक सेवा के अधिकारी श्री कृष्ण कुमार यादव को ’विद्यावाचस्पति’ की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। श्री यादव को यह उपाधि उनकी साहित्यिक रचनाशीलता एवं हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदान किया गया। उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में उज्जैन विश्वविद्यालय के कुलपति ने यह उपाधि प्रदान की। श्री कृष्ण कुमार यादव वर्तमान में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ पद पर कार्यरत हैं ।

सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लागिंग के क्षेत्र में भी चर्चित नाम श्री कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को देश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में देखा-पढ़ा जा सकता हैं। विभिन्न विधाओं में अनवरत प्रकाशित होने वाले श्री यादव की अब तक कुल 5 पुस्तकें- अभिलाषा (काव्य-संग्रह-2005), 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह-2006 व 2007), India Post : 150 Glorious Years (2006) एवं 'क्रांति -यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (2007) प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डा. राष्ट्रबन्धु द्वारा श्री यादव के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘‘बाल साहित्य समीक्षा‘‘ पत्रिका का विशेषांक जारी किया गया है तो इलाहाबाद से प्रकाशित ‘‘गुफ्तगू‘‘ पत्रिका ने भी श्री यादव के ऊपर परिशिष्ट अंक जारी किया है। आपके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं. डा. दुर्गाचरण मिश्र, 2009) भी प्रकाशित हो चुकी है। पचास से अधिक प्रतिष्ठित पुस्तकों/संकलनों में विभिन्न विधाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व ‘सरस्वती सुमन‘ (देहरादून) पत्रिका के लघु-कथा विशेषांक (जुलाई-सितम्बर, 2011) का संपादन भी आपने किया है। आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर व पोर्टब्लेयर और दूरदर्शन से आपकी कविताएँ, वार्ता, साक्षात्कार इत्यादि का प्रसारण हो चुका हैं।

श्री कृष्ण कुमार यादव ब्लागिंग में भी सक्रिय हैं और व्यक्तिगत रूप से शब्द सृजन की ओर (www.kkyadav.blogspot.com) व डाकिया डाक लाया (www.dakbabu.blogspot.com) और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’ ,‘सप्तरंगी प्रेम’ ‘उत्सव के रंग’ ब्लॉगों के माध्यम से सक्रिय हैं। विभिन्न वेब पत्रिकाओं, ई पत्रिकाओं, और ब्लॉग पर प्रकाशित होने वाले श्री यादव की इंटरनेट पर ’कविता कोश’ में भी काव्य-रचनाएँ संकलित हैं।

इससे पूर्व श्री कृष्ण कुमार यादव को भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’महात्मा ज्योतिबा फुले फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘ व ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”काव्य शिरोमणि” एवं ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान‘‘, ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, मेधाश्रम संस्था, कानपुर द्वारा ‘‘सरस्वती पुत्र‘‘, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।

विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार के इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों में कार्यरत हिन्दी सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वान, शिक्षक-साहित्यकार, पुरातत्वविद्, इतिहासकार, पत्रकार और जन-प्रतिनिधि शामिल थे। उक्त जानकारी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के कुल सचिव डा. देवेंद्र नाथ साह ने दी।


- दुर्ग विजय सिंह 'दीप'
उपनिदेशक-आकाशवाणी (समाचार)
आल इण्डिया रेडियो, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह.

रविवार, 1 जनवरी 2012

नव वर्ष की बेला आई..




नव वर्ष की बेला आई,
खुशियों की सौगातें लाई।
कर गुजरने का है मौका,
सद्भावों की नौका लाई।

नया वर्ष है, नया तराना,
झूमें-नाचें गाएं गाना।
और नया संकल्प हमारा,
कभी किसी को नहीं सताना।

बदला साल, कैलेण्डर बदला,
बदला है इस तरह जमाना।
भेजें सबको नेह निमंत्रण,
नए वर्ष का गाएं तराना।

नव वर्ष-2012 की हार्दिक बधाई

कृष्ण कुमार यादव