शादी के लिए अब तक दूल्हा बारात लेकर अपने ससुराल जाता रहा है मगर उत्तर प्रदेश में जौनपुर के बरसठी इलाके में एक दुल्हन बारात लेकर अपनी ससुराल गई और रात में विधि-विधान से हंसी-खुशी के माहौल में शादी सम्पन्न हुई।
जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर थाना क्षेत्र के बूढ़नपुर गांव निवासी दया शंकर यादव की 20 वर्षीय पुत्री कुसुम यादव की शादी जिले के ही बरसठी थाना क्षेत्र के घनापुर गांव निवासी डॉ. महेन्द्र प्रताप यादव के पुत्र कृष्ण कुमार यादव के साथ 18 अप्रैल के लिए तय हुई थी। शादी के समय यादव बिरादरी के आदरणीय सन्त गढ़वाघाट के स्वामी जी के उपस्थित रहने की बात भी तय की गई थी। महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के क्रम में लड़की कुसुम यादव ने निश्चित किया कि उसका दूल्हा बारात लेकर उसके घर नहीं आएगा बल्कि बिना दहेज हो रही इस शादी में दुल्हन स्वयं बारात लेकर दूल्हे के घर आएगी।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक रात लगभग तीन सौ बारातियों और गाजे-बाजे के साथ बारात लेकर कुसुम अपने ससुराल घनापुर आई तो ससुराल वालों ने बारात का स्वागत किया। इसके बाद द्वाराचार की रस्म अदा हुई और रात में गढ़वाघाट के स्वामी जी की मौजूदगी में कुसुम और कृष्ण कुमार की विधि-विधान से शादी हुई। इस अनोखी शादी को देखने के लिए क्षेत्र के आस-पास के लगभग दो हजार से अधिक लोग इकट्ठा हुए थे। रात में शादी होने के बाद सुबह बारात तो विदा हो गई मगर कुसुम अपनी ससुराल में ही रह गई।
(यह भी अजूबा है. नाम मेरा ही है और संयोगवश जौनपुर में बरसठी के पास ही हमारा पैतृक आवास भी है...खबर पुरानी है, पर रोचक लगी. अत: आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ)
जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर थाना क्षेत्र के बूढ़नपुर गांव निवासी दया शंकर यादव की 20 वर्षीय पुत्री कुसुम यादव की शादी जिले के ही बरसठी थाना क्षेत्र के घनापुर गांव निवासी डॉ. महेन्द्र प्रताप यादव के पुत्र कृष्ण कुमार यादव के साथ 18 अप्रैल के लिए तय हुई थी। शादी के समय यादव बिरादरी के आदरणीय सन्त गढ़वाघाट के स्वामी जी के उपस्थित रहने की बात भी तय की गई थी। महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के क्रम में लड़की कुसुम यादव ने निश्चित किया कि उसका दूल्हा बारात लेकर उसके घर नहीं आएगा बल्कि बिना दहेज हो रही इस शादी में दुल्हन स्वयं बारात लेकर दूल्हे के घर आएगी।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक रात लगभग तीन सौ बारातियों और गाजे-बाजे के साथ बारात लेकर कुसुम अपने ससुराल घनापुर आई तो ससुराल वालों ने बारात का स्वागत किया। इसके बाद द्वाराचार की रस्म अदा हुई और रात में गढ़वाघाट के स्वामी जी की मौजूदगी में कुसुम और कृष्ण कुमार की विधि-विधान से शादी हुई। इस अनोखी शादी को देखने के लिए क्षेत्र के आस-पास के लगभग दो हजार से अधिक लोग इकट्ठा हुए थे। रात में शादी होने के बाद सुबह बारात तो विदा हो गई मगर कुसुम अपनी ससुराल में ही रह गई।
(यह भी अजूबा है. नाम मेरा ही है और संयोगवश जौनपुर में बरसठी के पास ही हमारा पैतृक आवास भी है...खबर पुरानी है, पर रोचक लगी. अत: आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ)
4 टिप्पणियां:
अतिरोचक..
ऐसी ही एक दो घटना पहले भी सुन चुके हैं, पर यह समाज में बदलाव के संकेत हैं।
रोचक .. समाज में बदलाव लाने का प्रयास ..
samaj men badlav aa raha hi, usu ki yah bangi hai.
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