चर्चित कथाकार पद्मश्री गिरिराज किशोर जी का सान्निध्य मिला तो मानस संगम के संयोजक पंडित बद्री नारायण तिवारी जी से अपार स्नेह मिला. बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबंधु जी ने बाल-कविताओं की ओर उन्मुख किया तो मानवती आर्या जी ने भी काफी प्रोत्साहित किया. आचार्य सेवक वात्सयायन, सत्यकाम पाहरिया, दुर्गाचरण मिश्र, कमलेश द्विवेदी, आजाद कानपुरी, शतदल, श्याम सुन्दर निगम, शिवबाबू मिश्र, भालचंद्र सेठिया, सूर्य प्रसाद शुक्ल, हरीतिमा कुमार, प्रभा दीक्षित, दया दीक्षित, प्रमोद तिवारी, अनुराग, देवेन्द्र सफल, शिवशरण त्रिपाठी, विपिन गुप्ता, दयानंद सिंह 'अटल' ,विद्या भास्कर वाजपेयी, मो० गाजी, फिरोज अहमद, सतीश गुप्ता ....जैसे तमाम साहित्यजीवियों से समय-समय पर संबल मिलता रहा. उत्कर्ष अकादमी के निदेशक प्रदीप दीक्षित, देह्दानी दधीची अभियान के संयोजक मनोज सेंगर, सामर्थ्य की संयोजिका गीता सिंह, युवा क्रिकेटर विकास यादव, कवयित्री गीता सिंहचौहान, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्राचार्या गीता मिश्र , पूर्व बार अध्यक्ष एस. पी. सिंह, पवन तिवारी, श्री राम तिवारी, PIB के एम. एस. यादव, PTI के ज़फर,दलित साहित्यकार के. नाथ ....इन तमाम लोगों से थोडा बाद में परिचय बना, पर प्रगाढ़ता में कोई कमी न रही।
यहीं रहकर ही कादम्बिनी पत्रिका के लिए मैंने आजाद हिंद फ़ौज की कमांडर व राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुकीं पद्मविभूषण कप्तान लक्ष्मी सहगल का साक्षात्कार भी लिया. विख्यात हिंदी उद्घोषक जसदे
व सिंह से एक कार्यक्रम में हुई मुलाकात व चर्चा अभी भी मेरे मानस पटल पर अंकित है. कानपुर में ही मेरी प्यारी बिटिया अक्षिता का जन्म हुआ, भला कैसे भूलूँगा. पत्नी आकांक्षा की नौकरी भी कानपुर से ही जुडी हुई है. अपने गुरु श्री इन्द्रपाल सिंह सेंगर जी से कानपुर में पुन: मुलाकात हुई. वो बिठूर की धरोहरें, ठग्गू के लड्डू, मोतीझील का सफ़र, रेव थ्री....भला कौन भुला पायेगा. ऐसी ही न जाने कितनी यादें कानपुर से जुडी हुई हैं.....पर हर सफ़र का इक अंत होता है, सो मैं भी अपने नए सफ़र के लिए तैयार हो रहा हूँ....अलविदा कानपुर !!
यहीं रहकर ही कादम्बिनी पत्रिका के लिए मैंने आजाद हिंद फ़ौज की कमांडर व राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुकीं पद्मविभूषण कप्तान लक्ष्मी सहगल का साक्षात्कार भी लिया. विख्यात हिंदी उद्घोषक जसदे
10 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा रहा जिंदगी का ये सफ़र।
शुभकामनायें।
Khubsurat sansmaran.
Khubsurat sansmaran.
यादों को अपने सुन्दरता से पिरोया है. अच्छे लोगों की याद हमेशा बनी रहती है.
आपने कानपुर पर इतनी अमिट छाप छोड़ी है कि चाह कर भी अलविदा ना कर पायेंगें.
अपने लिए जिंदाबाद से लेकर मुर्दाबाद तक की आवाजें सुनीं. लोगों का प्यार मिला तो उड़ा देने की धमकियाँ भी....पर इन सबके बीच मैं बिंदास चलता रहा....Great !!
पर हर सफ़र का इक अंत होता है, सो मैं भी अपने नए सफ़र के लिए तैयार हो रहा हूँ....अलविदा कानपुर !!
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...ab nai jagah par mulakat hogi.
kABHI ALVIDA NA KAHNA..
अपने नए सफ़र के लिए तैयार हो रहा हूँ....अलविदा कानपुर !!
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But kanpur will always miss u.
YAHI TO JIWAN KA ANAND HAI...ENJOY IT.
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