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शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

Sun Temple, Modhera : सूर्य मंदिर महेसाणा - भगवान श्रीराम ने भी किया था यहाँ यज्ञ

सूर्योपासना की अपने यहाँ दीर्घ परंपरा रही है।  'छठ पूजा' का महापर्व तो पूर्णतया सूर्य उपासना पर ही आधारित है। गुजरात के महेसाणा जनपद स्थित 'मोढेरा' का सूर्य मंदिर भारत के चार सूर्य मंदिरों में से एक है। अन्य में उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मन्दिर, जम्मू का मार्तंड सूर्य मंदिर, उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा का  कटारमल सूर्य मन्दिर शामिल हैं। पुष्पावती नदी के किनारे प्रतिष्ठित यह सूर्य मंदिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प-कला का बेजोड़ उदाहरण है। 


 

इसके मंडप में सुन्दरता से गढ़े पत्थर के स्तम्भ अष्टकोणीय योजना में खड़े किये गये है जो अलंकृत तोरणों को आधार प्रदान करते हैं। 






इन स्तंभों पर देवी-देवताओं के चित्र तथा रामायण, महाभारत आदि के प्रसंगों को अद्भुत सुन्दरता व बारीकी से उकेरा गया है। इस मन्दिर की स्थापत्य कला अति विशिष्ट है। इसका निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मन्दिर के गर्भगृह में प्रवेश करती है। मोढेरा के इस सूर्य मन्दिर को 'गुजरात का खजुराहो' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मन्दिर की शिलाओं पर भी खजुराहो जैसी ही नक़्क़ाशीदार अनेक शिल्प कलाएँ मौजूद हैं। पूरे मन्दिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने  प्रयोग नहीं हुआ है। कमल का फूल भगवान सूर्य का फूल माना जाता है। इसलिए पूरा मंडप औंधे कमल के आकार के आधार पर निर्मित किया गया है। 


सभामण्डप के सामने  तोरण द्वार के ठीक सामने एक आयताकार कुंड है, जिसे "सूर्य कुण्ड" कहते हैं (स्थानीय लोग इसे "राम कुण्ड" कहते हैं।) कुण्ड के जल-स्तर तक पहुँचने के लिये इसके अंदर चारों ओर प्लेटफार्म तथा सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा सन् 1026-1027 ई. में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। सूर्यवंशी सोलंकी वंश भगवान सूर्य को  कुल देवता के रूप में पूजता था, इसी कारण उन्होंने यहाँ इस विशाल सूर्य मन्दिर की स्थापना करवाई थी। समय के थपेडों को सहते हुए भी यह मन्दिर अपनी भव्यता का प्रमाण प्रस्तुत करता है। वर्तमान समय में यह भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और फ़िलहाल इस मंदिर में किसी प्रकार की पूजा नहीं होती है। 

 


विभिन्न पुराणों में भी मोढेरा का उल्लेख मिलता है। 'स्कंदपुराण' और 'ब्रह्मपुराण' के अनुसार प्राचीन काल में मोढेरा के आस-पास का पूरा क्षेत्र 'धर्मरण्य' के नाम से जाना जाता था। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ठ को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा, जहाँ पर जाकर वह अपनी आत्मा की शुद्धि कर सकें और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पा सकें। तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को 'धर्मरण्य' जाने की सलाह दी थी। कहा जाता है भगवान राम ने ही धर्मारण्य में आकर एक नगर बसाया जो आज मोढेरा के नाम से जाना जाता है। श्रीराम यहाँ एक यज्ञ भी किया था। वर्तमान में यही वह स्थान है, जहाँ पर यह सूर्य मन्दिर स्थापित है। 

 

मोढेरा भारत का पहला सोलर विलेज भी है।

शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल जी से पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने की शिष्टाचार मुलाकात, भेंट की पुस्तकें

उत्तरी गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद के नवागत पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल जी से गांधीनगर स्थित उनके कार्यालय में शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान डाक विभाग द्वारा सेवाओं में किये जा रहे नवाचार के बारे में उन्हें जानकारी दी।




मुलाकात के दौरान पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने मुख्यमंत्री को अपनी  पुस्तक '16 आने 16 लोग' और आकांक्षा यादव की पुस्तक 'प्रकृति, संस्कृति और स्त्री' भेंट की। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसाद के साथ भारत सरकार के राज चिन्ह के साथ जारी 'जय हिंद' डाक टिकट और 'रामायण : राम दरबार' पर जारी डाक टिकट की खूबसूरत प्रतिकृति भी भेंट की, जिसे प्राप्त कर मुख्यमंत्री जी काफी अभिभूत हुए और अपनी शुभकामनायें दीं।

गौरतलब है कि मूलत: उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ निवासी श्री कृष्ण कुमार यादव ख़्यात हिन्दी साहित्यकार, लेखक व ब्लॉगर भी हैं। भारतीय डाक सेवा के वर्ष 2001 बैच के अधिकारी श्री यादव की विभिन्न विधाओं में 7 पुस्तकें  प्रकाशित हो चुकी हैं। एक कुशल व संवेदनशील प्रशासक के रूप में लोकप्रिय श्री यादव की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, आज़मगढ़ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है। यह भी सुखद संयोग है कि श्री यादव ने सिविल सेवाओं में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2003 में प्रवर डाक अधीक्षक, सूरत मण्डल के रूप में की थी। उसके बाद लखनऊ, कानपुर, अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह, प्रयागराज, जोधपुर, लखनऊ, वाराणसी के बाद एक बार फिर से गुजरात में पोस्टमास्टर जनरल के पद पर नियुक्ति हुई है।


ગુજરાતના મુખ્યમંત્રી ભૂપેન્દ્રભાઈ પટેલ સાથે  પોસ્ટમાસ્ટર જનરલ  કૃષ્ણ કુમાર યાદવે કરી શુભેચ્છા મુલાકાત


ઉત્તર ગુજરાત ક્ષેત્ર, અમદાવાદના નવા પોસ્ટમાસ્ટર જનરલ શ્રી કૃષ્ણકુમાર યાદવે ગુજરાતના  મુખ્યમંત્રી શ્રી ભૂપેન્દ્રભાઈ પટેલસાથે ગાંધીનગરમાં તેમના કાર્યાલયમાં શુભેચ્છામુલાકાત લીધી. આ દરમિયાન, પોસ્ટ વિભાગ દ્વારા સેવાઓમાં કરવામાં આવેલી નવીનતા વિશે તેમને માહિતી આપવામાં આવી.

મુલાકાત દરમિયાન, પોસ્ટમાસ્ટર જનરલ શ્રી કૃષ્ણકુમાર યાદવે મુખ્યમંત્રીશ્રીને પોતાની પુસ્તકો પણ ભેટ આપી. શ્રી કાશી વિશ્વનાથ મંદિરના પ્રસાદની સાથે ભારત સરકારના રાજચિહ્નિત'જય હિંદ' ડાક ટિકિટ અને 'રામાયણ : રામ દરબાર' ઉપર પ્રકાશિત ડાક ટિકિટ ની સુંદર નકલ પણ ભેટ આપી, જેને પ્રાપ્ત કરીને મુખ્યમંત્રીશ્રીખૂબ જ પ્રભાવિત થયા અને પોતાની શુભકામનાઓ આપી.

વિશેષ નોંધનીય છે કે મૂળઉત્તરપ્રદેશના આઝમગઢ નિવાસી શ્રી કૃષ્ણકુમાર યાદવ પ્રખ્યાત હિન્દી સાહિત્યકાર, લેખક અને બ્લોગર પણ છે. ભારતીય પોસ્ટ સેવા ના વર્ષ 2001 બેચના અધિકારી શ્રી યાદવની વિવિધ શૈલીઓમાં 7 પુસ્તકો પ્રકાશિત થઈ ચૂકેલ છે. એક કુશળ અને સંવેદનશીલ વહીવટદાર તરીકે લોકપ્રિય શ્રી યાદવનું શિક્ષણ જવાહર નવોદય વિદ્યાલય, આઝમગઢ અને અલાહાબાદ યુનિવર્સિટીમાંથી થયેલ છે. આ પણ એક સવિશેષતા છે કે શ્રી યાદવએ સિવિલ સર્વિસિસ માં પોતાની કારકિર્દીની શરૂઆત વર્ષ ૨૦૦૩ માં પ્રવર ડાક અધિક્ષક, સુરત વિભાગતરીકે કરી હતી. ત્યારબાદ લખનઉ, કાનપુર, અંદમાન-નિકોબાર દ્વીપસમૂહ, પ્રયાગરાજ, જોધપુર, લખનઉ, વારાણસી અને પછી ફરી એક વાર ગુજરાતમાં પોસ્ટમાસ્ટર જનરલના પદ પર નિમણૂક થઈ છે.


Postmaster General Krishna Kumar Yadav made a courtesy call on the Chief Minister of Gujarat, Bhupendrabhai Patel

Shri Krishna Kumar Yadav, Postmaster General, North Gujarat Region, Ahmedabad has made a courtesy call on the  Chief Minister of Gujarat, Shri Bhupendrabhai Patel, at his office in Gandhinagar. During this, initiatives taken by Department of Posts in various fields were briefed to Hon’ble Chief Minister and he appreciated the active role played by India Post in the state and assured of all possible help.

During the meeting, Postmaster General Shri Krishna Kumar Yadav gifted his book "16 Aane 16 Log" and Book of Akanksha Yadav "Prakriti, Sanskriti aur Stri" to the Chief Minister. Replica of a stamp 'Jai Hind-15 August 1947' displaying the emblem of Government of India and  'Ramayana' stamps released by India Post were also presented along with Shri Kashi Vishwanath Temple Prasad. The Chief Minister was quite overwhelmed by these gifts and expressed his best wishes.

It is noteworthy that Shri Krishna Kumar Yadav is a renowned Hindi literature, author and blogger. An Officer of 2001 batch of the Indian Postal Service, Sh. Yadav has authored 7 books across various genres. A native of Azamgarh district in Uttar Pradesh, Shri Yadav has received his early education from JawaharNavodayaVidyalaya, Azamgarh and did Post graduation from University of Allahabad. It is a coincidence that he started his career in civil services as Senior Superintendent of Post offices, Surat Division in the year 2003. After that serving in various capacities in Lucknow, Kanpur, Andaman and Nicobar Islands, Prayagraj, Jodhpur, Lucknow, Varanasi, he has once again joined as Postmaster General in Gujarat circle on 9th July, 2024.






 


मंगलवार, 18 जून 2024

University of Allahabad Alumni Meet : इलाहाबाद विश्वविद्यालय एल्युमिनाई मीट में...

देश के जाने माने यूनिवर्सिटी में से एक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रथम आधिकारिक एल्युमिनाई मीट का आयोजन 27 और 28 अप्रैल, 2024 को किया गया।  देश भर में यह विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान रखता है। इस विश्वविद्यालय से निकलकर देश के लगभग सभी क्षेत्र में छात्र-छात्राएं अपनी पहचान बनाए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की देश में एक अलग पहचान है। इसने देश को तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। आज भी इनके कार्यों की सराहना की जाती है। इनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर और गुलजारीलाल नंदा का नाम शामिल है। 

देश के इन दिग्गजों को एक मंच पर लाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से 1996 बैच के पहले पुराछात्रों का एक सम्मेलन आयोजित कराया गया। यहां अब कई दिग्गज एक साथ एक मंच साझा करते हुए अपने जीवन में विश्वविद्यालय के योगदान एवं उसकी यादों को साझा किया। समारोह में सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के कई वर्तमान और सेवानिवृत्त जज शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति पंकज मित्थल, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति वीएन खरे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विनीत सरन इत्यादि सहित इलाहाबाद होईकोर्ट के 40 जज समेत कई अन्य राज्यों के हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति भी समारोह में शामिल हुए।  इनके अलावा देश-प्रदेश में शीर्ष पदों पर काबिज अफसर, फिल्मी हस्तियाें समेत कई प्रमुख लोग समारोह का हिस्सा बने और पुरानी यादों को ताजा करने के साथ अपने अनुभव साझा किये। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रथम आधिकारिक एल्युमिनाई मीट (27-28 अप्रैल, 2024) में शामिल हुआ, जिसे कि University of Allahabad Alumni Association (UoAAA) के तत्वावधान में आयोजित किया गया। प्रथम दिन कुलाधिपति श्री आशीष कुमार चौहान, कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, UoAAA के अध्यक्ष प्रो. हेराम्ब चतुर्वेदी और सचिव प्रो. कुमार वीरेंद्र द्वारा दीप प्रज्वलन कर सम्मेलन का औपचारिक शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह में शामिल होने के बाद आर्ट एक्जिबिशन एवं फूड फेस्टिवल, सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया। 











भारतीय हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया से भी मुलाकात हुई। उन्होंने अपना कैरियर शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन से बतौर अतिथि निर्देशक शुरू किया था। वे भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि कि मैं भले ही मुंबई में रहता हूं लेकिन मेरे दिल में हमेशा इलाहाबाद बसता है।  हमारे जीवन में प्रोफेसर पीके घोष और प्रोफेसर अमर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 




दूसरे दिन शाम को Reminiscences and the Future Ahead : The Open Mike  में अन्य पुरा छात्रों के साथ अपने विचार व्यक्त किये, वहीं देर शाम को मशहूर कवि कुमार विश्वास  सहित संदीप भोला, कविता तिवारी, राजीव राज, प्रियांशु गजेंद्र की कविताओं का आनंद लिया। 





इलाहाबाद विश्वविद्यालय का मेयो बिल्डिंग सबसे प्राचीन बिल्डिंग है. जिसमे पहले मेयो कॉलेज चला करता था. जो कि कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रखता था. लेकिन 23 सितंबर 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना के बाद से ये विश्विद्यालय के विज्ञान संकाय का विभाग बना. जिसमे आज भी भौतिक विज्ञान से सम्बंधित कई शोध कर कीर्तिमान स्थापित किया . इसी बिल्डिंग में ही मैथमेटिक्स की कक्षाएं संचालित होती हैं.






अपने पुराछात्रों के स्वागत के लिए विश्वविद्यालय का परिसर विशेष तरह से सजाया गया। पूरे विश्वविद्यालय को रोशनी में डूबा दिया गया था।  विज्ञान संकाय एवं कला संकाय की शोभा इस कदर झलक रही थी कि मानो चंद्रमा रात में विश्वविद्यालय में उतर गया हो। इसके साथ हिंदी गजल, भजन एवं नृत्य के साथ पुरानियों का स्वागत किया गया।  इनके खान पान का ख्याल रखते हुए फूड कोर्ट एवं प्रदर्शनी भी लगाई गई।  वही दिन में इन पुरानियों की नौका विहार ऊंट की सवारी की व्यवस्था संगम पर की गई। 

आज भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने अंदर इतिहास के तमाम पन्नों और सफलताओं की गाथाओं को संजोये हुए है। यहाँ से निकले पुरा-विद्यार्थियों ने राजनीति, प्रशासन, विधि एवं न्याय, शिक्षा, साहित्य, कला, पत्रकारिता, बुद्धिजीविता, समाज सेवा इत्यादि तमाम क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये हैं। 











जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर, आज़मगढ़  से 12वीं के बाद हमने भी यहीं से बी.ए (1994-97, राजनीति शास्त्र, दर्शन शास्त्र, प्राचीन इतिहास) और एम.ए. (1997-99, राजनीति शास्त्र) की उपाधि धारण की। वर्ष 2000 की सिविल सेवा परीक्षा में चयन पश्चात वर्ष 2001 में इलाहाबाद हमने छोड़ दिया, परन्तु आज भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय हमारे अंदर जीवंत है। यह से जुड़ी तमाम खट्टी-मीठी यादें अभी को मन को स्पन्दित करती हैं। फ़िलहाल, इस पुरातन छात्र सम्मेलन के बहाने इलाहाबाद वि.वि. में तमाम पुराने भवन रंगरोगन और लाइटिंग के साथ चमक उठे। आशा की जानी चाहिए कि एक दौर में आई.ए.एस और साहित्यकारों की फैक्ट्री माने जाने वाले 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' नाम से विख़्यात इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपने उस पुराने वैभव को पाने के लिए भी सजग प्रयास करेगा, जिसके लिए इसकी देश-दुनिया में ख्याति रही है।