तीन रंगों का प्यारा झण्डा
राष्ट्रीय ध्वज है कहलाता
केसरिया, सफेद और हरा
आन-बान से यह लहराता
चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता
अमर शहीदों की वीरता और
बलिदान की याद दिलाता
कैसे स्वयं को किया समर्पित
इसकी झलक दिखलाता
आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।
कृष्ण कुमार यादव
7 टिप्पणियां:
आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।
..bahut sundar geet..badhai.
सार्थकता से भरा गीत..
गणतंत्र...जनतंत्र..मुबारक हो !!
गणतंत्र...जनतंत्र..मुबारक हो !!
चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता
..Behatrin..!!
तिरंगे को बड़े सार्थक रूप में उतार दिया है इस कविता में..बधाई.
गणतंत्र की जय हो..चुनावों में अपना मताधिकार सोच-समझकर इस्तेमाल करें.
एक टिप्पणी भेजें