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मंगलवार, 26 अगस्त 2025

जन्मदिन व वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर वृक्षारोपण कर दी जा सकती है समाज को नई दिशा - पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव

पर्यावरण की रक्षा के लिए जरुरी है कि हम इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने के साथ पौधारोपण को जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण दिनों से जोड़ें। भारतीय परंपरा में पेड़-पौधों को परमात्मा का प्रतीक मान कर उनकी पूजा का विधान बनाया गया  है। हमारी साँसें चलती रहें, इसके लिए ऑक्सीजन बेहद जरुरी है। ऐसे में जन्मदिन व विवाह वर्षगांठ जैसे जीवन के महत्वपूर्ण दिनों को विशेष बनाने के लिए पौधारोपण कर समाज को नई दिशा दी जा सकती है। 




उक्त संदेश वरिष्ठ ब्लॉगर, साहित्यकार, लोकप्रिय प्रशासक एवं सम्प्रति उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने स्वदेशी समाज सेवा समिति द्वारा 10 अगस्त, 2025 को अपने 48वें जन्म दिवस पर आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में दिया।







इस अवसर पर श्री कृष्ण कुमार यादव ने अपनी पत्नी एवं अग्रणी महिला ब्लॉगर व साहित्यकार श्रीमती आकांक्षा यादव, पुत्री सुश्री अक्षिता, राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता एवं पुत्री सुश्री अपूर्वा संग अपने आवास पर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।   

स्वदेशी समाज सेवा समिति, फिरोजाबाद के तत्त्वावधान में स्वामी ध्यानानन्द आश्रम नगला जोरे, फिरोजाबाद में आयोजित उक्त कार्यक्रम में श्री कृष्ण कुमार यादव, पोस्टमास्टर जनरल, उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के 48वें जन्मदिन पर रुद्राक्ष, तुलसी, नीम, आम, आंवला, तेजपत्ता, दालचीनी, तुलसी, पान, सिंगोनियम, रजनीगन्धा, गंधराज इत्यादि के फलदार, औषधीय, छायादार वृक्षों, बेल व पुष्प सहित 48 पौधों का रोपण कर धरा को हराभरा एवं पर्यावरण को शुद्ध बनाने का संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर स्वदेशी समाज सेवा समिति केअध्यक्ष श्री मातादीन यादव ने कहा, यह जीवन परमात्मा का उपहार है, सेवा ही सबसे बड़ी उपासना है और प्रकृति की रक्षा ही आज का सबसे बड़ा धर्म है। वर्तमान परिस्थितियों में जब वन क्षेत्र का निरंतर ह्रास होता जा रहा है तब संपूर्ण समाज को इस तरह के आयोजनों से सीख लेने की आवश्यकता है। स्वदेशी समाज सेवा समिति के संस्थापक सचिव विवेक यादव 'रुद्राक्ष मैन' ने कहा कि  सम्पूर्ण धरा और प्रकृति को सुरक्षित व संतुलित रखने हेतु हमें पौधारोपण के प्रति लोगों को सजग बनाना होगा। स्वदेशी समाज सेवा समिति के संकल्पों से जुड़कर सेवा, संस्कार एवं पर्यावरण रक्षा के इस यज्ञ में लोगों से अपनी आहुति देने का आह्वान भी किया। इस अवसर पर जितेन्द्र कुमार, आशीष, रिशभ, प्रबल प्रताप सहित तमाम पर्यावरण प्रेमियों ने पौधारोपण में अपना योगदान दिया।





 पोस्टमास्टर जनरल एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव के जन्मदिन पर स्वदेशी समाज सेवा समिति ने किया वृक्षारोपण कार्यक्रम

जन्मदिन व वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर वृक्षारोपण कर दी जा सकती है समाज को नई दिशा-पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव
 
चलो आज इस जमीं को, फिर से जन्नत बनाते हैं,
रोज न सही आज दो चार पौधे लगाते हैं !!🍁🌳

 धरती पर शिद्दत से एक पेड़ अपलोड तो करके देखिये,
बादलों के सैकड़ों झुंड आएंगे लाइक करने के लिए।
🌱🌲🌳🌴🌾🌿☘️🍁🌷
Save Trees, Save Earth, Save Environment.

 

मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं...

साहित्य समाज के आगे चलने वाली मशाल है। कालजयी साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि, चरित्र और परिवेश के साथ बदलते युग में भी यह नया आख्यान रचता है। मुंशी प्रेमचंद का साहित्य इसी परम्परा को समृद्ध करता है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिता अजायब राय श्रीवास्तव लमही, वाराणसी में डाकमुंशी (क्लर्क) के रूप में कार्य करते थे। ऐसे में प्रेमचंद का डाक-परिवार से अटूट सम्बन्ध रहा। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते हुए पीढ़ियाँ बड़ी हो गईं। उनकी रचनाओं से बड़ी आत्मीयता महसूस होती है। ऐसा लगता है मानो इन रचनाओं के  पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) की पूर्व संध्या पर उक्त विचार ख़्यात ब्लॉगर व साहित्यकार एवं उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये।


पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लमही, वाराणसी में जन्मे डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की नई इबारत  लिखी। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936  तक के कालखंड को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है। प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है। मुंशी प्रेमचंद स्वाधीनता संग्राम के भी सबसे बड़े कथाकार हैं। मुंशी प्रेमचंद एक साहित्यकार, पत्रकार और अध्यापक के साथ ही आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे। 

श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 30 जुलाई 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, प्रेमचन्द के साहित्यिक और सामाजिक विमर्श आज भूमंडलीकरण के दौर में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उनकी कृतियों के तमाम चरित्र, मसलन- होरी, मैकू, अमीना, माधो, जियावन, हामिद कहीं-न-कहीं वर्तमान समाज के सच के सामने फिर से तनकर खड़े हो जाते हैं। प्रेमचंद ने साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारा। प्रेमचन्द जब अपनी रचनाओं में समाज के उपेक्षित व शोषित वर्ग को प्रतिनिधित्व देते हैं तो निश्चिततः इस माध्यम से वे एक युद्ध लड़ते हैं और गहरी नींद सोये इस वर्ग को जगाने का उपक्रम करते हैं। श्री यादव ने कहा कि प्रेमचन्द ने अपने को किसी वाद से जोड़ने की बजाय तत्कालीन समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा। उनका साहित्य शाश्वत है और यथार्थ के करीब रहकर वह समय से होड़ लेती नजर आती हैं।

 








 
 डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने लिखी साहित्य की नई इबारत – पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव

आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द के साहित्यिक व सामाजिक विमर्श - पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव

प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है-पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव