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सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

सोशल मीडिया पर लिखी गई पोस्टों के बीमा के लिए तत्पर हैं बीमा कंपनियाँ

(अनवरत काल से चली आ रही साहित्य, कला, संस्कृति से जुड़ी तमाम विधाओं का बीमा भले ही न हुआ हो, पर सोशल मीडिया पर लिखी गई पोस्टों के बीमा के लिए बीमा कंपनियाँ तत्पर हैं। बाजार हर चीज को अपने दायरे में लेना चाहता है........ )

सोशल मीडिया पर किसी घटना, विषय या किसी व्यक्ति के बारे में खुलकर अपनी बात लिखने वालों को अब डरने के जरूरत नहीं है। क्योंकि उनके खिलाफ यदि कोई मानहानि का केस करता है तो इंश्योरेंस कंपनी उस व्यक्ति को कवर देगी। कंपनी केस साबित करने वाले व्यक्ति को क्लेम की पूरी रकम देगी। अभी भारत में सोशल मीडिया यूजर्स का इंश्योरेंस नहीं होता है। 

देश की ऐसी पहली इंश्योरेंस पॉलिसी लाने पर निजी कंपनी बजाज आलियांज काम कर रही है। इसके बारे में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर तपन सिंहल ने जानकारी दी है। उनका कहना है, ‘यदि किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट या कमेंट की वजह से मुकदमा झेलना पड़े और मुआवजा देने की नौबत आए तो साइबर इंश्योरेंस इस लागत को कवर करेगा। हमारी कंपनी व्यक्तिगत साइबर कवर डिजाइन कर रही है। यह कॉर्पोरेट्स के लिए वर्तमान में मौजूद साइबर इंश्योरेंस कवर जैसा ही होगा। बीमा कराने वाले व्यक्ति को दिए जाने वाले साइबर कवर में उसकी साख, डाटा सेंध और किसी निजी, वित्तीय या संवेदनशील जानकारी चोरी हो जाने के मामले में कवर मिलेगा। इंटरनेट यूजर्स की बढ़ती संख्या और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के बढ़ते चलन की वजह से नए खतरे पैदा हुए हैं। सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर काफी मात्रा में निजी जानकारी मौजूद है। व्यक्तिगत साइबर इश्योरेंस पॉलिसी के तहत फिशिंग, आइडेंडिटी थेफ्ट, साइबर स्टाकिंग, शोषण और बैंक अकाउंट्स की हैकिंग को कवर किया जाएगा। अभी साइबर इश्योरेंस आईटी फर्मों, बैंकों, ई-कॉमर्स और फार्मस्यूूटिकल कंपनियों को बेचे जाते हैं। इसके तहत कॉर्पाेरेट्स को प्राइवेसी और डाटा ब्रीच, नेटवर्क सिक्योरिटी दावों और मीडिया देनदारी का कवर मिलता है।’ भारत में कॉर्पोरेट्स कंपनियों द्वारा साइबर कवर लेने का चलन पिछले कुछ सालों में बढ़ा है। देश में पिछले तीन साल से ऐसी पॉलिसी उपयोग हैं। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक, ऐसी करीब 500 पॉलिसीज ली गई हैं। 

भारत में 1000 करोड़ रु. का साइबर बाजार 

एकअनुमान के मुताबिक, भारत में साइबर बीमा का बाजार करीब 1,000 करोड़ रुपए का है। यह दायित्व बाजार के 7 से 10 फीसदी हिस्सों को कवर करता है। देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसमें सबसे ज्यादा नए इंटरनेट यूजर्स का झुकाव सोशल मीडिया की तरफ होता है। अमेरिका के बाद भारत में इंटरनेट यूजर्स के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा देश है। कुछ साालों में भारत पहले स्थान पर होगा। 
-कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर
Krishna Kumar yadav @ http://kkyadav.blogspot.in/

मशहूर अमेरिकी गीतकार बॉब डिलन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार : 115 साल में पहली बार गीतकार को साहित्य का नोबेल

पिछले 50 वर्षो से अपनी पीढ़ी की आवाज माने जाने वाले अमेरिकी गीतकार और गायक बॉब डिलन को वर्ष  2016 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। 1901 से अब तक 115 साल में 109 शख्सियतों को यह नोबेल मिला, लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब किसी गीतकार और गायक को साहित्य के नोबेल के लिए चुना गया है। बॉब डिलन का लेखन उपन्यास, कविता या किसी अन्य परंपरागत विधा में नहीं आता है, जिसके लिए अब तक यह पुरस्कार दिया जाता रहा है।

स्वीडन की नोबेल अकादमी ने 13 अक्टूबर, 2016 को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकी गीतों की परंपरा में कविता के नए भावों को रचने के लिए बॉब डिलन को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। एकेडमी की स्थायी सचिव सारा दानियस ने कहा कि डिलेन के गाने ‘कानों में कविता जैसे लगते हैं। ’ डिलन ने अमेरिका में प्रचलित गायन परंपरा में एक नए युग की शुरुआत की है। ब्लोविन इन द विंड, मास्टर्स ऑफ वार, ए हार्ड रेन्स ए-गोना फॉल, द टाइम्स दे आर ए-चेंजिंग और लाइक ए रोलिंग स्टोन जैसे गीतों में उन्होंने विद्रोह, असंतोष और स्वतंत्रता जैसे भावों को अभिव्यक्ति दी है। 

साठ के दशक में अपने गिटार और माउथऑर्गन के साथ संगीत की दुनिया में आए डिलन को लोकगीतों का रॉक स्टार भी कहा जाता है। 75 साल के डिलन आज भी गाने लिखते हैं और अक्सर टूर पर रहते हैं। स्वीडिश अकादमी के सदस्य पर वास्टबर्ग ने कहा कि वह शायद सबसे महान जीवित कवि हैं। उपन्यासकार टोनी मोरिसन के बाद से नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले डिलन पहले अमेरिकी साहित्यकार हैं। मोरिसन को 1993 में इस पुरस्कार से नवाजा गया था।

रॉबर्ट एलेन जिमेरमन उर्फ बॉब डिलेन का जन्म 24 मई, 1941 को अमेरिका में  मिनेसोटा के डुलुथ में एक साधारण परिवार में  हुआ। 1959 में उन्होंने मिनेसोटा के कॉफी हाउस में गायक के तौर पर कैरियर शुरू किया।1961 में वह न्यूयॉर्क चले आए। 1961 में ही उन्होंने अपना नाम औचारिक रूप से रॉबर्ट ज़िम्मरमैन से बदलकर बॉब डिलन कर लिया था। यहां के ग्रीनविच गांव में वह क्लब और कैफे में गाना गाने लगे। बड़े होने के साथ उन्होंने हार्मोनिका, गिटार और पियानो बजाना सीखा। 1961 में पहला अलबम 'बॉब डिलन' बाजार में आया। पहले अलबम की अपार सफलता के बाद बॉब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उस समय अमेरिका के लोकप्रिय संगीत पर उनके गानों का जबर्दस्त असर पड़ा। अमेरिका के बदलते दौर और कलचर को पांच  दशकों से डिलन बखूबी गायकी और लेखन में उतारते रहे हैं। उन्हें अमेरिका की दिक्कतें बताने वाला अनौपचारिक इतिहासकार भी कहा जाता है।

 बॉब के बारे में कहा जाता है कि वो परंपरा के खिलाफ अलग तरह के गाने लिखते और गाते हैं। इसकी वजह से वो कई बार विवादों में भी रहे। बॉब डिलन के ‘ब्लोविन इन द विंड और द टाइम्स दे आर ए चेंज इन’ जैसे गानों  को अमेरिका में जंग के खिलाफ और सिविल राइट्स मूवमेंट के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है। बॉब डिलन ने 54 साल में 70 एलबम निकाले, 653 गाने गाए और लिखे एवम 6 किताबें खुद लिखीं।  बॉब के हिट एल्बमों में 1965 में ब्रिंगिंग इट ऑल बैक होम और हाइवे 61 रिविजिटेड,1966 में ब्लांड ऑन ब्लांड, 1975 में ब्लड ऑन द ट्रैक्स, 1989 में ओह मर्सी,1997 में टाइम आउट ऑफ माइंड और 2006 में मॉडर्न टाइम्स शामिल हैं। उनके सबसे लोकप्रिय गीतों में मिस्टर टैंबूरिन मैन से लेकर लाइक ए रोलिंग स्टोन, ब्लोइंग इन द विंड और द टाइम्स दे आर चेजिंग शामिल हैं। 

बॉब डिलन ने अकॉस्टिक सिंगर और सॉन्ग राइटर के तौर पर करियर शुरू किया था। कहा जाता है कि शुरुआती वर्षों में बॉब डिलन जर्मन तानाशाह हिटलर से बेहद प्रभावित थे।1965 के फोक फेस्टिवल में वे तब विवादों  में आ गए जब उन्होंने अपनी अकॉस्टिक गिटार अलग रख दी और इलेक्ट्रिक गिटार से परफॉर्मेंस दी। इस फेस्टिवल में लोगों ने बॉब डिलन के खिलाफ हूटिंग भी की, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1966 में उनका एक्सीडेंट हो गया। माना गया कि वे शोहरत का दबाव महसूस कर रहे थे। इसलिए उन्होंने इस हादसे के बारे में हकीकत कभी सामने नहीं आने दी। एक्सीडेंट के बाद 8 साल तक उन्होंने कोई टूर नहीं किया।

बॉब डिलन सिर्फ अमेरिका में ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।  बॉब डिलन को साहित्य को नोबेल मिलने पर भारत में भी खुशियां जताई जा रही हैं। सरोद वादक अमजद अली खान से लेकर संगीत निर्देशक ए आर रहमान तक ने डिलन को बधाइयां दी हैं। दोनों ने ही इसे संगीत से जुड़े सभी लोगों के लिए ‘‘गौरव का क्षण'' बताया। प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर कि यह खबर सुनकर काफी उत्साहित हूं। हम कुछ चीजों को लेकर काफी नैतिकतावादी हो जाते हैं। किसी गाने को साहित्य के तौर पर नहीं देखा जाता। गजल और नज्म को साहित्य समझा जाता है। बॉब एक शानदार इंसान हैं। उन्होंने इतिहास रचा है।

गौरतलब है कि 1901 से अब तक साहित्यर के 108 नोबेल पुरस्का र दिए जा चुके हैं। बॉब डिलन साहित्यल का नोबेल पाने वाली 109वीं शख्सियत हैं। अब तक साहित्य में सबसे अधिक नोबेल पुरस्कार  जीतने वाले अंग्रेजी के लेखक (27) रहे हैं। उसके बाद फ्रेंच (14) और तीसरे नंबर पर (13) जर्मन हैं। नोबेल पुरस्कार जीतने वालों को करीब 80 लाख स्वीडिश क्रोनर (करीब छह करोड़ रुपये) पुरस्कार के तौर पर मिलते हैं। सभी पुरस्कार विजेता 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर स्वीडेन में पुरस्कार ग्रहण करते हैं।
कृष्ण कुमार यादव @ शब्द-सृजन की ओर 
Krishna Kumar Yadav @ http://kkyadav.blogspot.in/