नारी सशक्तिकरण आज के दौर की एक प्रमुख जरूरत है। राजनैतिक-प्रशासनिक हलकों से लेकर सामाजिक, आर्थिक और वैयक्तिक स्तर तक इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत की है। इससे पहले भी इस तरह की तमाम पहल हुई हैं। ऐसी सभी कवायदों से परे रचनात्मक तौर पर साहित्यकार, कलाकार और बुद्धिजीवी भी इस ओर समाज को उन्मुख कर रहे हैं। 'दामिनी' केस की गूँज दिल्ली से लेकर विदेशों तक सुनाई दी थी पर अभी भी समाज में संवेदना और संचेतना उस स्तर तक नहीं पहुँच सकी है। पिछले दिनों इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कला छात्रा दामिनी शर्मा द्वारा लगाई गई कला प्रदर्शनी को देखा तो उसमें तमाम ऐसी कलाकृतियाँ मौजूद थीं, जो नारियों/बेटियों के प्रति समाज में हो रही घटनाओं को रेखांकित करती हैं, वहीं अब नारी द्वारा मुखर होकर व्यक्त किये गए तमाम भावों को भी कला के माध्यम से शब्द दिया गया है। वाकई आज जरूरत है कि बेटियाँ स्वयं इन सब चीजों के प्रति मुखर हों, उनका डटकर सामना करें और यह पहल परिवार से आरम्भ होकर राष्ट्र तक पहुँचनी चाहिए !!