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रविवार, 21 जून 2015

पापा ही प्रेरक-शक्ति हैं ...


पिता जी के बिना यह जीवन अधूरा है।  जीवन के हर क्षण में वे हमारे साथ खड़े रहे। आज अगर मैं सिविल सेवाओं में हूँ तो पापा ही उसके पीछे प्रेरक-शक्ति हैं, अन्यथा हम तो कुछ दूसरा ही कैरियर बनाने की सोच रहे थे। 72 वर्ष की उम्र में भी पापा का लिखने-पढ़ने का जज्बा ख़त्म नहीं हुआ है। आज भी लेखन, चिंतन और अध्ययन उनकी सर्वाधिक पसंदीदा अभिरुचि है । आज हम पापा जरूर बन गए हैं, पर अपने पापा के लिए तो बच्चे ही हैं। 

संयोगवश आज फादर्स-डे है।  ऐसे में सोचें कि कोई भी पिता अपने बच्चों से क्या चाहता है- प्यार का सच्चा इजहार, बच्चों का साथ, मान-सम्मान और यह आश्वस्ति कि बुजुर्ग होने पर बच्चे उनका भी पूरा ख्याल रखेंगे। बच्चों की हर सफलता के साथ पिता गौरवान्वित होता है। उन्हें लगता है कि जिन आदर्शों  के लिए उन्होंने दिन-रात एक किया, बेटे-बेटियों ने उसे साकार किया। ऐसे में सिर्फ एक दिन ‘फादर्स डे‘ मना कर अपने दायित्वों से इतिश्री नहीं किया जा सकता। माता-पिता ही दुनिया की सबसे गहरी छाया होते हैं, जिनके सहारे जीवन जीने का सौभाग्य हर किसी के बस में नहीं होता। इसलिए माता-पिता का आशीर्वाद लेकर सिर्फ एक दिन ही उन्हें याद ना करते हुए प्रतिदिन उन्हें नमन कर अपना जीवन सार्थक करना चाहिए। 


इलाहाबाद में पोस्टिंग के दौरान पापा काफी दिनों तक साथ ही रहे। उस दौरान बिटिया अक्षिता (पाखी) ने प्यारे दादू की यह फोटो ली थी।  

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