शनिवार, 4 दिसंबर 2010

जनसत्ता में 'शब्द सृजन की ओर' ब्लॉग की पोस्ट की चर्चा

'शब्द सृजन की ओर' पर 6 अक्तूबर, 2010 को प्रस्तुत पोस्ट अस्तित्व के लिए जूझते अंडमान के आदिवासी को प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक पत्र 'जनसत्ता' ने २२ नवम्बर 2010 को अपने सम्पादकीय पृष्ठ पर नियमित स्तम्भ 'समान्तर' में स्थान दिया ... आभार ! इससे पूर्व जनसत्ता के इसी स्तम्भ में 'शब्द सृजन की ओर' पर 22 अप्रैल, 2010 को प्रस्तुत पोस्ट प्रलय का इंतजार को भी स्थान दिया गया था...बहुत-बहुत आभार !!

25 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा प्रस्तुति यादव जी ... बधाई ....

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  2. भैया आपका यह आलेख हमने जनसत्ता में पढ़ा था...वाकई अंडमान में आदिवासियों की स्थिति विचलित कर देती है.

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  3. भैया आपका यह आलेख हमने जनसत्ता में पढ़ा था...वाकई अंडमान में आदिवासियों की स्थिति विचलित कर देती है.

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  4. फिर से पढ़ लेते हैं जी...बधाई.

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  5. बहुत बहुत बधाई. आपका लेखन बहुत ही उम्दा किस्म का है. लिखते रहिये......


    उपेन्द्र

    ( www.srijanshikhar.blogspot.com ) पर " राजीव दीक्षित जी का जाना "

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  6. बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें........ देर से ही सही..... पर बेहतरीन को अपना स्थान मिल जाता है.

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  7. हमने भी इसे जनसत्ता में पढ़ा था..मुबारकवाद.

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  8. वाकई अंडमान में आदिवासियों की स्थिति विचलित कर देती है.

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  9. बधाई व शुभकामनाएं!!!

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  10. आपका लेखन प्रभावशाली है, अत: चर्चा स्वाभाविक है...बधाइयाँ.

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  11. जनसत्ता में आपके ब्लॉग की पोस्ट की चर्चा पर बधाई. बड़ा विचारोत्तेजक विषय आपने उठाया है.

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  12. आपके और आकांक्षा जी के लेख अक्सर अंतर्जाल और प्रतिष्ठित हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में पढता रहता हूँ. वाकई आप दोनों खूब लिखते हैं.

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  13. अंडमानी आदिवासियों का विलुप्त होना चिंताजनक है, आपने अच्छा ध्यानाकर्षण किया.

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  14. जनसत्ता में आपके लेख के प्रकाशन पर बधाइयाँ.

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  15. जनसत्ता में तो नहीं, , पर यहाँ जरुर पढ़ लिया...बेहद रोचक जानकारी.

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  16. अंडमानी आदिवासियों का विलुप्त होना चिंताजनक है, आपने अच्छा ध्यानाकर्षण किया.

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