बुधवार, 22 सितंबर 2010

सूरज और दीया


एक कहानी सुनी थी
सूरज ने पूछा
मेरे बाद
कौन देगा प्रकाश
एक टिमटिमाते
दीये ने कहा
मैं दूँगा।

पर देखता हूँ
इस समाज में
लोगों का झुण्ड चला जाता है
कंधों से कंधा टकराते
हर कोई सूरज की
पहली किरण को
लेना चाहता है
अपने आगोश में
पर नहीं चाहता वह
नन्हा दीया बनना
जो सूरज के बाद भी
दे सके प्रकाश।

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  2. बहुत बढ़िया और गंभीर चिंतन ..अच्छी लगी आपकी यह रचना ..

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  3. पर नहीं चाहता वह
    नन्हा दीया बनना
    जो सूरज के बाद भी
    दे सके प्रकाश। ...बड़ी सारगर्भित बात कही...लाजवाब कविता के लिए हार्दिक बधाइयाँ के.के. जी.

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  4. पर नहीं चाहता वह
    नन्हा दीया बनना
    जो सूरज के बाद भी
    दे सके प्रकाश। ...बड़ी सारगर्भित बात कही...लाजवाब कविता के लिए हार्दिक बधाइयाँ के.के. जी.

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  5. जबरजस्त संदेश,क्षुब्धमना जनों के लिये। दीया ही बनो।

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  6. दीये की महत्ता को उजागर करती सशक्त रचना...बधाई.

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  7. एक टिमटिमाते
    दीये ने कहा
    मैं दूँगा।

    ...जज्बा कायम रहे...मुबारकवाद. खूबसूरत अबिव्यक्तियों के लिए बधाई.

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  8. बस यही तो कमी है कोई छोटा नही रहना चाहता………………।एक सुन्दर सन्देश देती खूबसूरत रचना।

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  9. पर नहीं चाहता वह
    नन्हा दीया बनना
    जो सूरज के बाद भी
    दे सके प्रकाश।
    भावमय और गंभीर चिन्तन
    बधाई।

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  10. बहुत ही सुन्दर कविता ..
    जो मन को झकझोर दे ...

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  11. मन को छू गई आपकी यह कविता भैया...बधाई.

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  12. जीवन का सच भी यही है....सुन्दर कविता.

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  13. वाह सर जी, बड़े सुन्दर रूपक का इस्तेमाल किया...सुन्दर भाव..बधाई.

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  14. हर कोई सूरज की
    पहली किरण को
    लेना चाहता है
    अपने आगोश में
    पर नहीं चाहता वह
    नन्हा दीया बनना
    जो सूरज के बाद भी
    दे सके प्रकाश। ..समाज दिनों-ब-दिन स्वार्थी होता जा रहा है...पर इसके बीच भी उम्मीदों का दिया सदैव टिमटिमाता रहता है.

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  15. बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  16. सहज भाषा..सार्थक बात...सुन्दर प्रस्तुति.

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  17. सोचने पर मजबूर करती है आपकी यह अनुपम कविता...मुबारकवाद.

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  18. गुफ्तगू में प्रकाशनार्थ आपकी कविताओं का स्वागत है.

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  19. आपकी कवितायेँ अक्सर पढता रहता हूँ..आपकी कविता पढ़कर मन पुलकित हो गया. आपकी लेखनी को सलाम.

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  20. एक टिमटिमाते
    दीये ने कहा
    मैं दूँगा।
    ...Diya the Great.

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