सोमवार, 18 जनवरी 2010

कानपुर से भावभीनी विदाई !!

अंतत: वह दिन (17 जनवरी, 2010) आ ही गया जब कानपुर के साहित्यकारों-बुद्धिजीवियों ने चर्चित कथाकार पद्मश्री गिरिराज किशोर जी की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में मुझे औपचारिक रूप से विदाई दी. इसी बहाने जाते-जाते तमाम लोगों से रु-ब-रु भी होने का मौका मिला. पंडित बद्री नारायण तिवारी, डा0 राष्ट्रबंधु, भालचंद्र सेठिया, सूर्य प्रसाद शुक्ल, प्रदीप दीक्षित,गीता सिंह, विकास यादव, इन्द्रपाल सिंह सेंगर, टी0आर0 यादव, सुशील कनोडिया,राजेश वत्स, विमल गौतम, श्यामलाल यादव, अनुराग, शिवशरण त्रिपाठी, विपिन गुप्ता, एस. पी. सिंह, पवन तिवारी, श्री राम तिवारी,एम. एस. यादव, नाज़ अनवरी, शहरोज अनवरी, माधवी सेंगर, अंकुश जी इत्यादि तमाम चिर-परिचित चहरे दिखे. जो नहीं आये उन्होंने फोन पर बात कर विदाई दी. इसके अलावा डाककर्मी, पत्रकार और वो तमाम लोग आये, जिन्होंने यहाँ रहना जरुरी समझा....उन सभी का आभार !!

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी27 जनवरी, 2010

    yaden..yaden...bas yaden rah jaati hain

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  2. अच्छे लोगों की विदाई पर दुःख अवश्य होता है, पर ऐसे लोगों को समाज को नई राह दिखने के लिए प्रवाहमान ही रहना चाहिए. नई जगह के लिए बधाइयाँ.

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  3. काश हम भी शहर में उस दिन रहते तो इसके गवाह बनते, खैर हमें कभी ना भूलियेगा.

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  4. जो नहीं आये उन्होंने फोन पर बात कर विदाई दी.
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    Kahin yah ishara meri taraf to nahin hai...ha..ha..ha...

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  5. सुन्दर चित्र...अविस्मरनीय दृश्य.

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  6. आपका विदाई-समाचार युगमानस पर भी पढ़ा-

    http://yugmanas.blogspot.com/2010/01/00.html

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  7. चलिए आप हम लोगों को भूले नहीं, हमारी खुशफहमी.

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  8. सुन्दर चित्र व उम्दा यादें...यही तो सरकारी नौकरी है .नए पद व नई जगह की बधाइयाँ.

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  9. अच्छे लोगों की विदाई पर दुःख अवश्य होता है, पर ऐसे लोगों को समाज को नई राह दिखने के लिए प्रवाहमान ही रहना चाहिए. नई जगह के लिए बधाइयाँ.

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  10. चित्रमय यादों का सफ़र..सुहाना है.

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