शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

संवेदना की विदाई

कानपुर छोड़कर पोर्टब्लेयर आ चुका हूँ। धीरे-धीरे यहाँ के परिवेश से रु-ब-रु भी होने लगा हूँ। आपके सामने तो सभी आपकी बड़ाई करते हैं, पर आपकी अनुपस्थिति में जब कोई आपके बारे में दो शब्द लिखे तो इतनी दूर बैठकर पढना अच्छा लगता है। कानपुर से मेरे एक शुभचिंतक ने "हेलो कानपुर" अख़बार की एक कटिंग भेजी है। इसके संपादक प्रमोद तिवारी जी चर्चित गज़लकार, कवि और तीखे तेवरों वाले पत्रकारों में गिने जाते हैं। "संवेदना की विदाई" नामक इस लेख को आप भी पढ़ें और अपनी राय से अवगत कराएँ !!

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर विश्लेषण, आप प्रतिभाशाली हैं.

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  2. अपने प्रशासन के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी अप्रतिम योगदान दिया है. ऐसे में आपकी चर्चा स्वाभाविक है.

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  3. कानपुर आपको कभी नहीं भुला पायेगा. अप जहाँ भी रहें कानपुर के लोगों को भी भूलियेगा मत.

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  4. पढ़कर काफी आत्मीयता महसूस हुई.

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  5. आज ऐसे ही कटिबद्ध लोगों की जरुरत है..बधाई हो.

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  6. बेहतरीन कवरेज...नए सफ़र की बधाई.

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