देश-विदेश की 250 से अधिक छोटी-बड़ी पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में हमारी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। कभी सोचता था कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और अण्डमान से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक की पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पा सकूँ। काफी हद तक सफलता भी मिली।
कश्मीर की कमी "वितस्ता" ने दूर कर दी, जो कि प्रोफ़ेसर दिलशाद जीलानी के सम्पादन में हिंदी विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर द्वारा प्रकाशित होती है।
हाल ही में 40 वें अंक के रूप में इसका 2014-15 अंक आया है। 230 पृष्ठों के इस अंक में कुल 19 लेख शामिल हैं, जिसमें "कश्मीर की सूफी परम्परा की राह में अब्दुल रहमान राही" शीर्षक से हमारे लेख के साथ-साथ सहधर्मिणी आकांक्षा यादव का एक लेख "भूमंडलीकरण के दौर में भाषाओं पर बढ़ता खतरा" भी प्रकाशित है !!
वितस्ता (अंक-40, वर्ष 2014-15) : संपादिका - प्रोफ़ेसर दिलशाद जीलानी, हिंदी विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर-190006

Hello sir good afternoon
जवाब देंहटाएंSar ham subject Hindi research paper published karvana chahte Hain
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