1-
पर्यावरण
सुरक्षित रहेगा
संपन्न धरा।
2-
काटिये नहीं
हरे-भरे वृक्षों को
जीवन देंगे।
3-
दूषित वायु
घटता जलस्तर
बढ़ता शोर।
4-
पिघले हिम
ये ग्लोबल वार्मिंग
बढ़ता ताप।
5-
कटते पेड़
फैलता रेगिस्तान
जीवन त्रस्त।
6-
पौधे रोपिए
उर्वरता बचाएं
समृद्ध धरा।
7-
स्वच्छ जल
नदियाँ अविरल
टले संकट।
8-
पर्यावरण
हो सतत् विकास
यही संकल्प।
प्रकृति का सामीप्य तो हमें खूब भाता है। आज विश्व पर्यावरण दिवस है। प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण बेहद जरुरी है। सोचिए, यदि हमारे आस-पास पेड़-पौधे न हों, मुस्कुराते फूल न हों, चिड़ियों की चहचहाहट न हो, भिन्न-भिन्न ऋतुएं न हों ......तो सब कुछ कितना सूना लगेगा। सो, अभी भी देर नहीं हुई है। यदि पहले से संजीदगी न रही हो तो अभी से शुरुआत कर लें !!
पर्यावरण दिवस पर खूबसूरत प्रस्तुति ...बधाई।
जवाब देंहटाएंSir, Looks handsome. Nice Photo.
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट आज के (०५ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंबढिया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत सुन्दर हाईकू, पर्यावरणीय।
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस पर सुन्दर हाइकु।
जवाब देंहटाएंघुइसरनाथ धाम - जहाँ मन्नत पूरी होने पर बाँधे जाते हैं घंटे।
हम तो भूल ही गए थे वास्तव में पर्यावरण सामूहिक और निजी प्रयासों से ही सुधर सकता है आज व्यक्ति निज आनंद को ही प्राथमिकता दे रहा है जो खतरनाक है ।
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