मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

प्रेम


प्रेम एक भावना है
समर्पण है, त्याग है
प्रेम एक संयोग है
तो वियोग भी है
किसने जाना प्रेम का मर्म
दूषित कर दिया लोगों ने
प्रेम की पवित्र भावना को
कभी उसे वासना से जोड़ा
तो कभी सिर्फ उसे पाने से
भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
पाना ही नहीं खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दीये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता !!

7 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल ठीक कहा आपने प्यार सिर्फ लेनी का नहीं बल्कि देने का नाम भी है। क्यूंकि प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती...सरथा अभिव्यक्ति

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  2. पतंगा बार-बार जलता है
    दीये के पास जाकर
    फिर भी वो जाता है
    क्योंकि प्यार
    मर-मिटना भी सिखाता !! ..Yahi to pyar ki parakashtha hai..sundar rachna..badhai.

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  3. पतंगा बार-बार जलता है
    दीये के पास जाकर
    फिर भी वो जाता है
    क्योंकि प्यार
    मर-मिटना भी सिखाता !! ..Yahi to pyar ki parakashtha hai..sundar rachna..badhai.

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  4. प्यार मर मिटना भी सिखाता है... यही तो सीखने की जरूरत है नई पीढ़ी को। प्रेम का सुंदर चित्रण

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