गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

लघु कथा : पेप्सी-कोला/कृष्ण कुमार यादव


”पेप्सी-.कोला, हाय-हाय!”

” बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ खूनी हैं!”

”बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ-भारत छोड़ो!”

.......के नारों के साथ नौजवानों का एक जुलूस आगे बढ़ा जा रहा था। चैराहे पर प्रेस, टी0वी0 चैनल्स व फोटोग्राफरों का हुजूम देखकर वे और तेजी से नारे लगाने लगे। हर कोई बढ़-चढ़ कर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को गाली देता और अपनी फोटो खिचवाने की फिराक में रहता। कुछ ही देर बाद मीडिया के लोग इस इवेण्ट की कवरेज करके चले गए।

आखिर उनमें से एक बोल पड़ा-‘‘अरे यार! गला सूख रहा है, कुछ ठण्डा-वण्डा मिलेगा कि फ्री में ही नारे लगवाओगे।’’

देखते ही देखते नारे लगाते नौजवान बगल के रेस्टोरेन्ट में घुस गये। बर्गर के साथ पेप्सी-कोला की बोतलें अब गले में तरावट ला रही थीं।

- कृष्ण कुमार यादव : शब्द-सृजन की ओर 

19 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा । हर काम की कीमत होती है ।

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  2. bahut acchhi lagukathaa...saarthak post...aabhaar.

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  3. यह लघुकथा वास्तविकता के बहुत करीब है....

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  4. यह लघुकथा वास्तविकता के बहुत करीब है....

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  5. 5/10

    सार्थक लेखन
    लघु कथा हल्की है लेकिन धार सटीक तो है.
    यथार्थ को रेखांकित करती है

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  6. सच तो यही है।
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  7. हमारा भारत महान . बढ़िया लघु कथा.

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  8. आहा देखा ये मुई लडकिया ही कोला सोला ज्यादा पीती हॆ..:) वॆसे मुझे १ साल से ज्यादा हो गये पेप्सी छोडे...हा कभी कभी दोस्तो के साथ स्लाईस पी लेते हॆ.. (फोटो वाली दोस्त तो नसीब मे नही नही तो शायद वो कहती तो पेप्सी क्या स्प्राईट भी पी लेते )

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  9. सटीक कटाक्ष्। दोहरे व्यक्तित्व मे जी रही है दुनिया। शुभकामनायें।

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  10. बहुत बढ़िया लघु कथा...

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  11. आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं

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  12. सच को उकेरती सारगर्भित लघुकथा..बधाई.

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  13. ๑۩۞۩๑ HAPPY DIWALI ! ๑۩۞۩๑
    "Look Outside IT's Pleasant
    LIGHTS Smiling For U
    CANDLES Dancing For U
    FAIRIES Waiting For U
    Because I Ask Them 2 Wish U"
    ๑۩۞۩๑ HAPPY DIWALI ! ๑۩۞۩

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