खैर शाम को जब बारिश धीमी हुई तो बाहर का मौसम बड़ा सुहाना हो चुका था। गुलमोहर के लाल-लाल फूल अपने शवाब में दिख रहे थे तो पक्षी आसमां में कलाबाजियाँ दिखा रही थीं. बादल अभी भी उमड़-घुमड़ कर रहे थे. ऐसे में बाहर निकलकर हल्का-हल्का भीगना पूरे दिलोदिमाग को एक अजीब सी ख़ुशी प्रदान करता है. लगता है कितने दिनों बाद इस दिन को जी रहा हूँ. मौके की नजाकत, तब तक पकौड़ों और चाय की तलब महसूस हुई. कहते हैं ना बारिश का मजा पकौड़ों और चाय के बिना अधूरा ही होता है. पता नहीं कहाँ से ये परंपरा आरंभ हुई होगी, पर यह बारिश का मजा दुगुना कर देती है और बारिश इनका स्वाद दुगुना कर देते हैं. फ़िलहाल पत्नी आकांक्षा और बिटिया अक्षिता के साथ अंडमान की बारिश का लुत्फ़ भरपूर रूप में उठा रहा हूँ, इधर अख़बारों और न्यूज चैनल्स पर उधर की कड़ी धूप व गर्मी के भी समाचार देख रहा हूँ. दिल में बस यही ख्याल आता है-
सब प्रकृति की माया है !
कहीं धूप और कहीं छाया है !!
(चित्र में बिटिया अक्षिता)
बहुत खूब..इधर गर्मी और वहां अंडमान में बारिश..जलन हो रही है.
जवाब देंहटाएंमुँह में पानी आ गया..देखिये यहाँ इन्द्र देवता कब प्रसन्न होते हैं. बिटिया पाखी की फोटो खूबसूरत है. वह भी आपके साथ बारिश का लुत्फ़ उठा रही हैं.
जवाब देंहटाएंवाह, तब तो खूब मजा आ रहा होगा. काला पानी कही जाने वाली जगह आज प्रकृति का स्वर्ग बन गई है...ऐश कीजिये..बधाई.
जवाब देंहटाएंपाखी को जीवन का मजा लेने दीजिये..थोडा भीगने दीजिये...वैसे अम्ब्रेला में तो खूब प्यारी लग रही हैं...शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंजीवन का भरपूर मजा तो यही है..शेयर करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुनामी के बाद अंडमान में भी बहुत कुछ बदला है. इसी कारण इस बार वहाँ बारिश लेट आई है..पर यहाँ तो तप रहे हैं. खैर आपकी पोस्ट पढ़कर मन कुछ ठंडा हुआ. पाखी तो खूब मजे कर रही है.
जवाब देंहटाएंसर, अब तो मान गए कि अंडमान ज्वाइन करने का आपका फैसला गलत नहीं था. आपके ब्लॉग द्वारा हम लोगों को भी वहाँ की दुनिया के बारे में पता चल रहा है.
जवाब देंहटाएंPakhi is looking so cute..
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने कहीं धूप, कहीं छाया...यही है प्रकृति की माया.
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें. बारिश तो ला नहीं सकते. चलकर पकौड़ों व चाय का जुगाड़ करते हैं.
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें. बारिश तो ला नहीं सकते. चलकर पकौड़ों व चाय का जुगाड़ करते हैं.
जवाब देंहटाएंहम भी साथ में हैं...लाजवाब !!
जवाब देंहटाएंये तो बहुत बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंतब तो अंडमान आना चाहिए. इट्स रोमांटिक.
जवाब देंहटाएंपाखी तो बड़ी न्यारी-प्यारी लग रही हैं.
बारिश, पकौड़े और चाय.....अब कहाँ जाएँ हम. मुँह में पानी जो आ रहा है.
जवाब देंहटाएंपाखी को कहिये भीगेगी तो ठण्ड लग जाएगी...
जवाब देंहटाएंअद्भुत....ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया.
जवाब देंहटाएंSir, तब तो वहाँ खूब आनंद आ रहा होगा.
जवाब देंहटाएंमुख्य भूमि में बढ़ते प्रदुषण के चलते बारिश नहीं हो रही. अंडमान में तो घने जंगल व समुद्र हैं, फिर तो खूब बारिश होगी....आप लकी हैं कि वहाँ हैं..बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह, आज तो खूब मजा आया बारिश का...
जवाब देंहटाएंऔर हाँ, मेरे पिक्चर की बड़ाई के लिए आप सभी को प्यार व धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसब प्रकृति की माया है !
जवाब देंहटाएंकहीं धूप और कहीं छाया है !!
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यहाँ दिल्ली में तो जल रही काया है
पेड़ भी तलाशने निकले छाया हैं !!
ऎ बिटिया ऎसे नही चलेगा... अकेले अकेले क्यो खा रही हो?? हां अरे दो चार पलेटो मै सब समान सजा कर फ़िर चटनी रख कर उन की फ़ोटॊ खींच कर ब्लांग पर लगाओ ओर हमे भी खिलाओ तब मजा आयेगा, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबारिस और चाय -पकौड़े --- ये कम्बीनेशन तो डेडली है ।
जवाब देंहटाएंmast laga chai ka pyala.....pkkode ke saath.
जवाब देंहटाएंmiss this oppartuinity.
उधर बारिश का रिमझिम पानी
जवाब देंहटाएंइधर ...मुहं में पानी ....
बहुत अछा और रोचक आलेख बन पडा है
अभिवादन .