रविवार, 14 फ़रवरी 2010

प्रेम (वेलेंटाइन दिवस पर विशेष)

प्रेम एक भावना है
समर्पण है, त्याग है
प्रेम एक संयोग है
तो वियोग भी है
किसने जाना प्रेम का मर्म
दूषित कर दिया लोगों ने
प्रेम की पवित्र भावना को
कभी उसे वासना से जोड़ा
तो कभी सिर्फ उसे पाने से
भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
पाना ही नहीं खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दीये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता !!

13 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत... इस दिन पर हमने भी आपको एक कविता समर्पित की है. मेरे ब्लॉग पर जाकर देखें.

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  2. खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ..प्यार के इस अल्हड़ मौसम में हम सब यूँ ही प्रेम का गीत गुनगुनाते रहें.

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  3. दूषित कर दिया लोगों ने
    प्रेम की पवित्र भावना को
    कभी उसे वासना से जोड़ा
    तो कभी सिर्फ उसे पाने से
    भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
    पाना ही नहीं खोना भी है
    ...Bahut sahi kaha apne.बेहद निराले अंदाज में लिखी कविता. प्रेम-दिवस पर इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए के. के. यादव जी को बधाई.

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  4. दूषित कर दिया लोगों ने
    प्रेम की पवित्र भावना को
    कभी उसे वासना से जोड़ा
    तो कभी सिर्फ उसे पाने से
    भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
    पाना ही नहीं खोना भी है
    ...Bahut sahi kaha apne.बेहद निराले अंदाज में लिखी कविता. प्रेम-दिवस पर इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए के. के. यादव जी को बधाई.

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  5. प्रेम के रूप अनेक ।
    बस प्रेम प्रदुषण से बचा रहे तो अच्छा।

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  6. बहुत सुंदर शव्दो मै आप ने मेरे मन की बात को कविता का रुप दे दिया, प्यार तो महान है, लेकिन लोगो ने इसे दुषित कर दिया, बदनाम कर दिया
    धन्यवाद

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  7. भावनाओं का सुन्दर संगमन व प्यार का अद्भुत अहसास परिलक्षित होता है इस कविता में.

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  8. प्यार का खूबसूरत एहसास.
    उम्दा कविता. बधाई.

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  9. प्रेम की सघन अनुभूति...खूबसूरत भाव.

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  10. बेनामी26 फ़रवरी, 2010

    प्यार को सुन्दर शब्दों में सजोया..भावपूर्ण कविता..बधाई.

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