'राष्ट्रीय सहारा' में 'महफिले शेरो सुखन' के अंतर्गत कृष्ण कुमार यादव की चर्चा
26 जून, 2009 के राष्ट्रीय सहारा अख़बार में लोकप्रिय स्तम्भ 'महफिले शेरो सुखन' के अर्न्तगत मेरी कविताओं पर संपादक नवोदित जी ने चर्चा की ! इसके लिए उनका आभार! ...और आपकी शुभकामनाओं की अपेक्षा !!
आप चर्चा के केंद्र-बिंदु में बने रहें...शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंMubarak ho.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंराष्ट्रीय सहारा के कानपुर संसकरण में आज सुबह मैंने भी आपकी कविताओं की चर्चा पढ़ी.ढेरों बधाई और शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंNice one...Congts.
जवाब देंहटाएंप्रशासन में रहकर न सिर्फ साहित्य-रचना बल्कि चर्चा में रहना कोई आपसे सीखे. इस उपलब्धि पर हो जाय कुछ.
जवाब देंहटाएंराष्ट्रीय सहारा में आपकी चर्चा..आपके कृतित्व की चर्चा...बधाई हो भाई .
जवाब देंहटाएंSir! Congratulations.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपके बारे में राष्ट्रीय सहारा अख़बार में . मैंने भी पढ़ा है, मुबारकवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपके बारे में राष्ट्रीय सहारा अख़बार में . मैंने भी पढ़ा है, मुबारकवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बधाई ओर ढेरों शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत मुबारकबाद
जवाब देंहटाएंमिलिए अखरोट खाने वाले डायनासोर से
बहुत-बहुत बधाई हो।उपलब्धियों का सिलसिला चलता रहे।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाएं और बधाई आपको.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! आप बहुत सुंदर लिखते हैं ! इसी तरह से लिखते रहिये!
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