रविवार, 4 जनवरी 2009

पेज थ्री

मँहगी गाड़ियों और वातानुकूलित कक्षों में बैठ
वे जीते हैं एक अलग जिन्दगी
जब सारी दुनिया सो रही होती है
तब आरम्भ होती है उनकी सुबह
रंग-बिरंगी लाइटों और संगीत के बीच
पैग से पैग टकराते
अगले दिन के अखबारों में
पेज थ्री की सुर्खियाँ
बनते हैं ये लोग
देर शाम किसी चैरिटी प्रोग्राम में
भारी-भरकम चेक देते हुये
और मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाते हुये
तैयार कर रहे होते हैं
राजनीति में आने की सीढ़ियाँ
सुबह से शाम तक
कई देशों की सैर करते
कर रहे होते हैं डीलिंग
अपने लैपटाॅप के सहारे
वे नहीं जाते
किसी मंदिर या मस्जिद में
कर लेते हैं ईश्वर का दर्शन
अपने लैपटाॅप पर ही
और चढ़ा देते हैं चढ़ावा
क्रेडिट-कार्ड के जरिये
सुर्खियाँ बनती हैं उनकी हर बात
और दौड़ता है
मीडिया का हुजूम उनकी पीछे
क्योंकि तय करते हैं वे
सेंसेक्स का भविष्य
पर्दे के पीछे से करते हैं
सरकारों के भविष्य का फैसला
बनती है आकर्षण का केन्द्र-बिंदु
सार्वजनिक स्थलों पर उनकी मौजूदगी
और इसलिए वे औरों से अलग हैं !!!
***कृष्ण कुमार यादव***

15 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई! मान गए. बड़ा सटीक चित्रण है आपकी कविता में.

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  2. बेनामी04 जनवरी, 2009

    देर शाम किसी चैरिटी प्रोग्राम में
    भारी-भरकम चेक देते हुये
    और मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाते हुये
    तैयार कर रहे होते हैं
    राजनीति में आने की सीढ़ियाँ
    ...पेज थ्री के बहाने बड़े लोगों की पोल खोलती कविता.बधाई!!

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  3. मँहगी गाड़ियों और वातानुकूलित कक्षों में बैठ
    वे जीते हैं एक अलग जिन्दगी
    जब सारी दुनिया सो रही होती है
    तब आरम्भ होती है उनकी सुबह
    रंग-बिरंगी लाइटों और संगीत के बीच
    पैग से पैग टकराते
    अगले दिन के अखबारों में
    पेज थ्री की सुर्खियाँ
    ....Adbhut.

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  4. बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति और भाव..बधाई.

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  5. तभी तो जब वे बनते है आत्नक का शिकार .देश में मचती है हलचल....कोई वी टी स्टेशन पर नजर नही डालता .किसी को नाम नही याद उस मछुआरे का जो मारा गया सबसे पहले....

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  6. krishn ji , namaskar , bahut hi umda likha hai aapane . mere blog par ek kvita hai " antah pur ka sukh " kafi kuchh aapki bhavnaon se mail khati hai .
    aapko padhkar achchha laga .

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  7. ...यहाँ यह भी देखना होगा की जिस तरह मीडिया इन पेज थ्री के चेहरों को अनावश्यक महत्व देकर उन्हें यूथ आइकन बनती है, वह कितना उचित है...एक सार्थक कविता हेतु साधुवाद.

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  8. वे नहीं जाते
    किसी मंदिर या मस्जिद में
    कर लेते हैं ईश्वर का दर्शन
    अपने लैपटाॅप पर ही
    और चढ़ा देते हैं चढ़ावा
    क्रेडिट-कार्ड के जरिये
    ...सुंदर बिम्ब और बढ़िया भावाभिव्यक्ति !!

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  9. बेहद प्रासंगिक कविता.

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  10. पेज थ्री के बहाने समाज के तथाकथित उच्च वर्ग के सरोकारों (?) को दर्शाती उत्कृष्ट कविता.

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  11. bahut badhiya sir ji ,
    maan gaye aapki lekhni ko , ek nagn sach ko aapne bakhubi darshaya hai .. wah wah ..

    aapko badhai ..


    vijay
    Pls visit my blog for new poems:
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  12. Mr Yadav,
    Pardon me as I am writing to you in English, my origin being Bangali, my hindi is kinda weak. I just went through your poem 'Page 3'. I am bowled over. What fine observation sir. I will go through your rest of your post when time permits.
    Glad you liked my blog . Thanks.
    Subhashis Das

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  13. सुंदर रचना एक सफल और बेहतरीन प्रयास
    धन्यवाद

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