शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

ऑरकुट के जन्म की कहानी

सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट की दुनिया में ऑरकुट के नाम से भला कौन अपरिचित होगा। यह अब इतना लोकप्रिय हो चुका है कि इस पर तमाम नामी-गिरामी हस्तियां तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने से रोक नहीं पाती हैं। यही नहीं ऑरकुट ग्रुप के माध्यम से तमाम लोग अपनी लोकप्रियता में इजाफा कर रहे हैं। ऑरकुट आज सिर्फ मैत्री भाव को ही नहीं साहित्य-कला-संस्कृति-विज्ञान जैसी तमाम सामूहिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी माध्यम बन चुका है। तमाम राजनैतिक दल एवं राजनीतिज्ञ इसके माध्यम से कैम्पेनिंग भी करते नजर आते हैं। यद्यपि ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के अपने नुकसान भी हैं और अराजक तत्व इसका भरपूर फायदा उठाते हैं। पर हर अच्छाई अपने साथ बुराई को लेकर ही चलती है।

ऑरकुट के जन्म की अपनी दिलचस्प कहानी है। आरकुट बायोक्टेन नामक व्यक्ति के दिमाग में स्कूली दिनों में बिछड़ गई अपनी गर्लफ्रेंड को खोजने की प्रबल चाह ही अन्ततः इस सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट का कारण बनी। यद्यपि यह कार्य आसान नहीं था पर प्रेम बहुत कुछ करा जाता है। आरकुट बायोक्टेन इसे लेकर नित् तरह-तरह की परिकल्पनाएं करते। 20 साल की उम्र में जब आरकुट बायोक्टेन आईटी के टेक्निकल आर्किटेक्ट बन गए तो उनके दिमाग में एक मजेदार विचार आया। उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरों से एक ऐसा साटवेयर तैयार करने को कहा, जिसके जरिए संदेश भेजे जा सकें और दूसरा भी उस पर अपना संदेश लिख सके। सोशल नेटवर्किंग की भाषा में इसी को ‘स्क्रैप‘ कहा गया। यह अद्भुत विचार अन्ततः फलीभूति हुआ एवं तीन साल की कड़ी मशक्कत के बाद आरकुट बायोक्टेन को अपनी खोई हुई गर्लफ्रेंड मिल गई। आरकुट बायोक्टेन का इरादा पूरा हो गया तो उन्होंने इसे बंद करना चाहा, लेकिन तब तक आईटी में तेजी से नाम कमा रही गूगल कंपनी को यह विचार पसंद आया और उसने वर्ष 2004 में इस साटवेयर को खरीद लिया। तब से लेकर आज तक ऑरकुट पर रोज हजारों-लाखों लोग जुड़ते हैं और न जाने कितने भूले-बिसरे दोस्त-यार एक दूसरे के टच में आते हैं।

14 टिप्‍पणियां:

  1. जानकारी भरा आलेख .. धन्‍यवाद !!

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  2. wow !!!its a great info !!
    aur majedaar baat ye ki mohbbat ka jajbaa kya kuchh karwa deta hai !!

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  3. इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद

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  4. आपके इ-पार्क का भी मजा लिया

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  6. ऑरकुट का इस्तेमाल तो रोज करते हैं, पर इतनी विस्तृत जानकारी पहली बार मिली...आभार !!

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  7. बेनामी13 जुलाई, 2009

    ऑरकुट को उनकी गर्ल-फ्रेंड मिली, हमें सोशल नेट्वर्किंग का खजाना.

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  8. ऑरकुट आज सिर्फ मैत्री भाव को ही नहीं साहित्य-कला-संस्कृति-विज्ञान जैसी तमाम सामूहिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी माध्यम बन चुका है।....sahi kaha apne.

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  9. बेनामी13 जुलाई, 2009

    आपने तो ऑरकुट के बारे में बड़ा उम्दा जानकारी दी. छोटी-छोटी बातों को हम जीवन में अपनाते जरुर हैं, पर उनके बारे में नहीं जानते, इस सम्बन्ध में आपका ब्लॉग अच्छा कार्य कर रहा है,,बधाई.

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  10. SIR, Really, a very interesting information provided by you. I am reading about ORKUT HISTORY, first time. Thanks for this important information. [ Prabhat Misra, District Savings Officer, Etawah ]

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