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मंगलवार, 8 सितंबर 2015

हिन्दी भाषी लोगों के लिए हिन्दी में आएगी सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक'

गणेश जी का वाहन मूषक जगप्रसिद्ध है।  गणेश जी को देश-दुनिया में दौड़ने के लिए मूषक जी का ही सहारा है। ऐसे में मूषक जी का महत्व समझा जा सकता है।  कम्प्यूटर का माउस भी मूषक का ही अंग्रेजी रूपांतरण है और काफी हद तक इसकी आकृति भी।  ऐसे में ट्विटर' की तर्ज पर पूरी तरह हिन्दी में काम करने वाला 'मूषक' सोशल नेटवर्किंग साइट चर्चा में है। 

भोपाल में आयोजित हो रहे दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में शिरकत करने आए पुणे के अनुराग गौड़ व उनके साथियों ने 'ट्विटर' की तर्ज पर पूरी तरह हिन्दी में काम करने वाला 'मूषक' सोशल नेटवर्किंग साइट देशवासियों और हिन्दी प्रेमियों के लिए पेश की है। यह साइट अभी ऑनलाइन नहीं हुई है, कहा जा रहा है कि 10 सितंबर को इसे जारी किया जाएगा।

हिन्दी सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक' के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) अनुराग गौड़ ने बताया कि जहां ट्विटर पर शब्दों की समय सीमा 140 शब्द हैं, वहीं हमने मूषक पर इसे 500 रखा है। कम्प्यूटर अथवा स्मार्टफोन पर हिन्दी टाइप करना रोमन लिपि पर आधारित है, इसलिए लोग हिन्दी लिखने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में बदलती तकनीक के साथ हिन्दी को लोगों से परिचित कराना होगा, ताकि लोग रोमन लिपि से पिछड़कर अपनी पहचान ना खो दें।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन पर उनकी इस सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक' को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है तथा इसके अलावा कम्प्यूटर पर इसे गूगल सर्च में www.mooshak.in के नाम से खोजा जा सकता है।

गौड़ ने कहा कि भाषा वैज्ञानियों का विचार है कि जो भाषा हम बोलना जानते हैं, उसे थोड़े प्रयत्नों से ही सरलता से लिखना सीख जाते हैं। उन्होंने कहा कि 'मूषक' का उद्देश्य हिन्दी और देवनागरी को आज की पीढ़ी के लिए सामयिक और प्रचलित करना है। इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर हिन्दी भाषी रोमन में टाइप करने से वहीं तत्काल हिन्दी शब्द का विकल्प पा सकेंगे।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में 'मूषक' के सीईओ ने कहा कि ट्विटर, फेसबुक सरीखे सोशल नेटवर्किंग साइट्स, जिसे हमारे नेताओं, अभिनेताओं और प्रतिष्ठित लोगों ने जोर-शोर से अपनाया है, वहां प्राथमिकता अंग्रेजी भाषा को दी जाती है और उसे ही देश की आवाज समझा जाता है। हिन्दी दोयम दर्जे की मानी जाती है। उन्होंने कहा कि मूषक द्वारा हम इस प्रक्रिया को सही मायनों में गणतांत्रिक बनाना चाहते हैं, जहां गण की आवाज गण की भाषा में ही उठे।

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