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रविवार, 14 दिसंबर 2014

निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव सहित 12 विभूतियाँ 'प्रयाग गौरव' सम्मान से विभूषित

सामाजिक एकता एवं उन्नति का प्रतीक 'प्रयाग महोत्सव' इलाहाबाद में 13 दिसम्बर, 2014 को धूमधाम से मनाया गया। 'प्रयाग गौरव सम्मान एवं सांस्कृतिक आयोजन जनसेवा समिति' एवं 'अबुल कलाम आजाद जन सेवा संस्थान' के बैनर तले विज्ञान परिषद, प्रयाग सभागार में आयोजित समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को ''प्रयाग गौरव'' सम्मान से नवाजा गया। इस अवसर पर कुल 12 हस्तियों को सम्मानित किया गया। उक्त हस्तियों का चुनाव न्यायमूर्ति सखा राम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी ने किया था।

कार्यक्रम के आरम्भ में प्रशासनिक उपलब्धियों हेतु इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं एवं चर्चित ब्लॉगर व साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव को ''प्रयाग गौरव'' सम्मान से विभूषित किया गया। गौरतलब है कि श्री यादव ने जहाँ इलाहाबाद में डाक सेवाओं को नए आयाम दिए हैं, वहीं विभिन्न माध्यमों द्वारा डाक सेवाओं के प्रचार-प्रसार द्वारा उन्हें लोकप्रिय भी बनाया है।  इससे पूर्व सूरत, लखनऊ, कानपुर और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पदस्थ रहे श्री कृष्ण कुमार यादव प्रशासन में संवेदनशीलता के पर्याय हैं। श्री यादव को उक्त सम्मान बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी द्वारा न्यायमूर्ति सुधीर नारायण, सदस्य, कावेरी ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में इलाहाबाद की मेयर श्रीमती अभिलाषा गुप्ता एवं श्री अशोक मेहता, अपर महासालिसिटर जनरल के विशिष्ट आतिथ्य में दिया गया। 

गौरतलब है कि सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी चर्चित श्री यादव की अब तक कुल 7 पुस्तकें 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह, 2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), India Post : 150 glorious years  (2006), 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), ’जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ’16 आने 16 लोग’(निबंध-संग्रह, 2014) प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं0 डाॅ0 दुर्गाचरण मिश्र, 2009, आलोक प्रकाशन, इलाहाबाद) भी प्रकाशित हो चुकी  है। श्री यादव देश-विदेश से प्रकाशित तमाम पत्र पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर भी प्रमुखता से प्रकाशित होते रहते हैं। कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा ’’साहित्य सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ”विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान”, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, वैदिक क्रांति परिषद, देहरादून द्वारा ‘’श्रीमती सरस्वती सिंहजी सम्मान‘’, भारतीय बाल कल्याण संस्थान द्वारा ‘‘प्यारे मोहन स्मृति सम्मान‘‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ”महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ सम्मान”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती रत्न‘‘, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति मथुरा द्वारा ‘‘महाकवि शेक्सपियर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान‘‘, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा ’’पं0 बाल कृष्ण पाण्डेय पत्रकारिता सम्मान’’, सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु तमाम सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं।   

इस अवसर पर श्री कृष्ण कुमार यादव के अलावा साहित्य में इलाहाबाद विश्विद्यालय के उर्दू विभाग के संकाय प्रमुख प्रो0 अली अहमद फातमी, शिक्षा में जाने-माने दलित चिंतक एवं गोविन्द वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान में प्रो0 बद्री नारायण व टैगोर पब्लिक स्कूल  में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक श्री संजय श्रीवास्तव, चिकित्सा में जाने-माने नेत्र शल्य चिकित्सक व प्राचार्य मेडिकल कालेज डाॅ. एस.पी.सिंह और पूर्व निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तर प्रदेश डाॅ एस. पी. नारायण, समाज सेवा के क्षेत्र में चीफ वार्डेन सिविल डिफेन्स श्री अनिल कुमार गुप्ता, अभिनय में भारतीय लोक कला महासंघ के अध्यक्ष श्री अतुल यदुवंशी, विधि न्याय में श्री महेश चन्द्र चतुर्वेदी, पत्रकारिता में जी न्यूज के श्री दिनेश सिंह, व्यापार में प्रयाग व्यापार मंडल के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष रहे श्री ओंकार नाथ खन्ना, व अर्चना तुलसियानी को ’’प्रयाग गौरव’’ सम्मान दिया गया। सम्मान स्वरूप सभी विभूतियों को शाल ओढ़ाने के बाद प्रशस्ति पत्र, सम्मान पत्र प्रदान किया गया।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी ने कहा कि प्रयाग प्राचीनकाल से ही हमारी संस्कृति को संरक्षित किए है और इसे जीवंत रखना हम सबकी महती जिम्मेदारी है।  उन्होंने सभी सम्मान पाने वालों को बधाई दी। न्यायमूर्ति सुधीर नारायण ने कहा कि प्रयाग की धरती कलाकारों, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों व साहित्यकारों को हमेशा प्रोत्साहित करती रही है। यहां सम्मानित होने वाला हर व्यक्ति अद्वितीय प्रतिभा का धनी है। भारत सरकार के अपर महासालिसिटर अशोक मेहता ने कहा कि भारत में विभिन्न संस्कृतियां समाहित हैं व प्रयाग महोत्सव में हर रंग समाहित है। महापौर अभिलाषा गुप्ता ने कहा कि अच्छे कार्य के लिए सम्मान पाना गौरव की बात है, इससे दूसरे लोगों को अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती है। ब्रिगेडियर एलसी पटनायक ने कहा कि मैं प्रयागवासी नहीं हूं परंतु अनेक विभूतियों को सम्मानित करके गौरव की अनुभूति कर रहा हूं। आयोजन समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्री नाजिम अंसारी ने बताया कि इलाहाबाद में तमाम विभूतियां अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है और इस सम्मान के माध्यम से उनकी उपलब्धियों को एक नयी पहचान देने का प्रयास है। नाजिम अंसारी ने कहा कि उनकी संस्था संस्कृति एवं कला को प्रोत्साहित करने की मुहिम में जुटी है। 

विज्ञान परिषद सभागार में हुए समारोह का संचालन नंदल हितैषी और धन्यावद ज्ञापन संयोजक राजीव आनंद ने किया। कार्यक्रम में सरदार अजीत सिंह, डॉ. प्रमोद शुक्ल, डॉ. प्रत्यूष पांडेय, राजेंद्र तिवारी, डॉ. एके रजा, संदीप सेन, आर. विकास, ज्ञान सिंह, प्रशांत पांडेय, सुरभि, विशाखा, विनोद आदि मौजूद रहे।






















शनिवार, 6 दिसंबर 2014

शोषित समाज के लिए विचारों का पुंज छोड़ गए डा. अम्बेडकर

दमन के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक डाॅ. भीमराव अंबेडकर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व भारतीय समाज के लिए प्रेरणादायक है। विषमतावादी समाज में गैर बराबरी, भेदभाव, छुआछूत के विरूद्ध डाॅ. अम्बेडकर ने लोकतांत्रिक एवं वैधानिक रूप से संघर्ष किया। इसके चलते सदियों से अपने अधिकारों से वंचित वर्ग को न्याय मिला। डाॅ अंबेडकर की आधुनिक सोच की झलक भारतीय संविधान में देखने को मिलती है। अम्बेडकर ने दलितों, महिलाओं के अधिकारों को स्थापित करने के साथ-साथ अंधविश्वास, पाखंड और जाति वर्गभेद के विरूद्ध भी संघर्ष किया। डाॅ. अम्बेडकर की प्रगतिवादी सोच को रूढि़वादियों ने आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की। उनके योगदान को कमतर आंकने की भूल और उनके विचारों को न समझने की कमजोरी से देश की सामाजिक-व्यवस्था को विश्वमंच पर अपमान झेलना पड़ता है। यदि अंबेडकर के विचारों से प्रेरणा लेकर लोकतांत्रिक सरकारों ने कार्य किया होता तो देश की दो तिहाई आबादी को भी व्यवस्था में पूर्ण भागीदारी मिल गई होती। 



(जनसंदेश टाइम्स में डा. अम्बेडकर की पुण्यतिथि ( 6 दिसंबर, 2014 ) पर उनका स्मरण करते हुए कृष्ण कुमार यादव का लेख)

!! आज डा. अम्बेडकर जी की पुण्यतिथि ( 6 दिसंबर, 2014 )  पर सादर नमन !! 

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

माँ और पिता


जिसकी कोख से जन्म होता : वह माँ
जिसके पेट पर खेलने में मजा आता : वह पिता !

जो धारण करती : वह माँ
जो सिंचन करता : वह पिता !

जो गोद में लेकर सहलाती : वह माँ
जो हाथों में धर कर ऊंचा उठाता : वह पिता!

जो उंगली पकड़कर चलना सिखाती: वह माँ
जो कंधों पर लेकर दौड़ना सिखाता : वह पिता!

जो डूब-डूब गगरी करती: वह माँ
जो हर-हर गंगे करता : वह पिता!

जो आँचल तले दबाती: वह माँ
जो पिंजड़े से बाहर निकालता : वह पिता!

जो व्याकुल होती : वह माँ
जो संयम सिखाता : वह पिता!

जो आशीर्वचन जैसी: वह माँ
जो नमस्कार तुल्य : वह पिता!

जिसके सिवा जीवन नहीं : वह माँ
जिसके सिवा भविष्य नहीं: वह पिता !!

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

कृष्ण के मुकुट में एक और नगीना : भूटान में मिलेगा परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान

हिंदी साहित्य और ब्लाॅग पर संस्मरणात्मक सृजन के लिए चर्चित ब्लाॅगर व साहित्यकार एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव को 15-18 जनवरी 2015 के दौरान भूटान में आयोजित होने वाले चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में  “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान में 25,000 रूपये की धनराशि, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रीफल और अंगवस्त्र दिया जायेगा। उक्त जानकारी सम्मलेन के संयोजक श्री रवीन्द्र प्रभात ने दी। 

कृष्ण कुमार यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लाॅगिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव के दो व्यक्तिगत ब्लॉग हैं । इनमें “शब्द सृजन की ओर“ (http://kkyadav.blogspot.in/) ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों से परिपूर्ण है; वहीं “डाकिया डाक लाया“ (http://dakbabu.blogspot.in/) में डाक सेवाओं का इतिहास है, डाक सेवाओं से जुड़ी महान विभूतियों के बारे में जानकारी है, खतों की खुशबू है, डाक टिकटों की रोचक दुनिया सहित तमाम आयामों को यह ब्लाॅग सहेजता है। इन ब्लाॅंग को अब तक लाखों लोगों ने पढा है और करीब सौ ज्यादा देशों में इन्हें देखा-पढा जाता है।

गौरतलब है कि श्री यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे पूर्व भी न्यू  मीडिया और ब्लॉगिंग हेतु  तमाम प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा “अवध सम्मान“, हिंदी ब्लॉगिंग के दशक वर्ष में सपत्नीक “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान, नेपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में “परिकल्पना साहित्य सम्मान“ इत्यादि शामिल हैं ।  

सम्मेलन के दौरान वैश्विक परिप्रेक्ष्य विशेषकर सार्क देशों में  हिन्दी के प्रचार-प्रसार, न्यू मीडिया के रूप में ब्लाॅगिंग के विभिन्न आयामों एवं बदलते दौर में सोशल मीडिया की भूमिका इत्यादि विषयों पर भी चर्चा होगी। गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी भूटान यात्रा के दौरान भारत-भूटान के मध्य ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों की चर्चा करते हुए परस्पर सद्भाव व सहयोग की बात कही थी। भूटान में आयोजित यह अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन भी निश्चिततः उसी कड़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा।
(साभार)