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शनिवार, 24 अगस्त 2013

काठमांडू में 'परिकल्पना साहित्य सम्मान' और 'ब्लॉग विभूषण' सम्मान

कुछ माह पहले लुम्बिनी गया था तो सोचा था कि जल्द ही काठमांडू भी जाऊंगा। लीजिए, ऊपर वाले ने सुन ली। हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से समाज और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के निमित्त हमारी जीवन संगिनी आकांक्षा जी को ''परिकल्पना ब्लॉग विभूषण सम्मान'' और हमें ( कृष्ण कुमार यादव) ''परिकल्पना साहित्य सम्मान'' के लिए चुना गया है। यह सम्मान 13-14 सितंबर 2013 को काठमाण्डू में आयोजित "अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन" में प्रदान किया जायेगा। इन सम्मान के अंतर्गत स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, श्री फल, पुस्तकें अंगवस्त्र और एक निश्चित धनराशि प्रदान किए जाएंगे। इस समारोह में अन्य ब्लागर्स और साहित्यकारों को भी सम्मानित किया जाएगा .....इस चयन के लिए रवीन्द्र प्रभात जी और उनकी पूरी टीम का बहुत-बहुत आभार !!

इस सम्मान को विभिन्न प्रतिष्ठित अख़बारों ने भी भरपूर कवरेज दिया, उन सभी का आभार। आप भी इन्हें पढ़ सकते हैं !!


Rising Blogger Couple : i-next (24 Aug. 2013) में ब्लागिंग हेतु काठमांडू में सम्मान की चर्चा।


'दैनिक जागरण' (24 अगस्त, 2013 ) में ब्लागिंग हेतु ब्लागर्स कांफ्रेंस, काठमांडू में सम्मान की चर्चा : डाक निदेशक और उनकी पत्नी होंगी सम्मानित। 


'हिन्दुस्तान' (24 अगस्त, 2013) में ब्लागिंग हेतु सम्मान की चर्चा :: केके यादव व आकांक्षा को काठमांडू में मिलेगा सम्मान।

'अमर उजाला' (24 अगस्त, 2013 )  में ब्लागिंग हेतु ब्लागर्स कांफ्रेंस, काठमांडू में सम्मान की चर्चा : केके यादव और आकांक्षा यादव को सम्मान.


Hindustan Times (24 August, 2013) : Blogger couple set to receive international award. 


 Times of India (25 August, 2013) : Postal Official, wife to get award for Hindi blogging)


पंजाब केसरी (26 अगस्त, 2013 ) : के.के. यादव और उनकी पत्नी को मिलेगा सम्मान. 

बुधवार, 14 अगस्त 2013

स्वतंत्रता की गाथा सिर्फ अतीत भर नहीं है...


कल देश अपनी आजादी की एक और सालगिरह मनाएगा। स्वतंत्रता को आज व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने की जरुरत है। स्वतंत्रता माने सिर्फ राजनैतिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, वैचारिक, आध्यात्मिक,पारिवारिक और अन्तत: वैयक्तिक स्वतंत्रता भी है, जहाँ हर स्तर पर निर्णय-प्रक्रिया में हम भागीदार हो सकें और सकारात्मक रूप में देश और समाज के लिए कुछ कर सकें। स्वतंत्रता अपने आप में संपूर्ण है। इसका शाब्दिक विश्लेषण करें तो यह स्व का तंत्र है, अर्थात स्वयं को पा लेना. इस स्वतंत्रता दिवस पर आत्म विश्लेषण करके देखने की जरुरत है कि क्या हम अपनी चेतना को पूर्ण रूप में पा चुके हैं और सच्चे अर्थों में वाकई स्वतंत्र हैं.

स्वतंत्रता की गाथा सिर्फ अतीत भर नहीं है बल्कि आगामी पीढ़ियों हेतु यह कई सवाल भी छोड़ती है। वस्तुतः भारत का स्वाधीनता संग्राम एक ऐसा आन्दोलन था, जो अपने आप में एक महाकाव्य है। लगभग एक शताब्दी तक चले इस आन्दोलन ने भारतीय राष्ट्रीयता की अवधारणा से संगठित हुए लोगों को एकजुट किया। यह आन्दोलन किसी एक धारा का पर्याय नहीं था, बल्कि इसमें सामाजिक-धार्मिक सुधारक, राष्ट्रवादी साहित्यकार, पत्रकार, क्रान्तिकारी, कांग्रेसी, गाँधीवादी इत्यादि सभी किसी न किसी रूप में सक्रिय थे।

1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम को अंग्रेज इतिहासकारों ने ‘सिपाही विद्रोह‘ मात्र की संज्ञा देकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि यह विद्रोह मात्र सरकार व सिपाहियों के बीच का अल्पकालीन संघर्ष था, न कि सरकार व जनता के बीच का संघर्ष। वस्तुतः इस प्रचार द्वारा उन्होंने भारत के कोने-कोने में पनप रही राष्ट्रीयता की भावना को दबाने का पूरा प्रयास किया। पर इसमें वे पूर्णतया कामयाब नहीं हुये और इस क्रान्ति की ज्वाला अनेक क्षेत्रों में एक साथ उठी, जिसने इसे अखिल भारतीय स्वरूप दे दिया। इस संग्राम का मूल रणक्षेत्र भले ही नर्मदा और गंगा के बीच का क्षेत्र रहा हो, पर इसकी गूँज दूर-दूर तक दक्षिण मराठा प्रदेश, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों, गुजरात और राजस्थान के इलाकों और यहाँ तक कि पूर्वोत्तर भारत के खासी-जंैतिया और कछार तक में सुनाई दी। परिणामस्वरूप, भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन का यह प्रथम प्रयास पे्ररणास्रोत बन गया और ठीक 90 साल बाद भारत ने स्वाधीनता के कदम चूमकर एक नये इतिहास का आगाज किया।

भारतीय राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष यह रहा कि आजादी के दीवानों का लक्ष्य सिर्फ अंग्रजों की पराधीनता से मुक्ति पाना नहीं था, बल्कि वे आजादी को समग्र रूप में देखने के कायल थे। भारतीय पुनर्जागरण के जनक कहे जाने वाले राजाराममोहन राय से लेकर भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारी और महात्मा गाँधी तक ने एक आदर्श को मूर्तरूप देने का प्रयास किया। राजाराममोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करवाकर नारी मुक्ति की दिशा में पहला कदम रखा, ज्योतिबाफुले व ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने शैक्षणिक सुधार की दिशा में कदम उठाए, स्वामी विवेकानन्द व दयानन्द सरस्वती ने आध्यात्मिक चेतना का जागरण किया, दादाभाई नौरोजी ने गरीबी मिटाने व धन-निकासी की अंग्रेजी अवधारणाओं को सामने रखा, लाल-बाल-पाल ने राजनैतिक चेतना जगाकर आजादी को अधिकार रूप में हासिल करने की बात कही, वीर सावरकर ने 1857 की क्रान्ति को प्रथम स्वाधीनता संग्राम के रूप में चिन्हित कर इसकी तुलना इटली में मैजिनी और गैरिबाल्डी के मुक्ति आन्दोलनों से व्यापक परिप्रेक्ष्य में की, भगत सिंह ने क्रान्ति को जनता के हित में स्वराज कहा और बताया कि इसका तात्पर्य केवल मालिकों की तब्दीली नहीं बल्कि नई व्यवस्था का जन्म है, महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह व अहिंसा द्वारा समग्र भारतीय समाज को जनान्दोलनों के माध्यम से एक सूत्र में जोड़कर अद्वैत का विश्व रूप दर्शन खड़ा किया, पं0 नेहरू ने वैज्ञानिक समाजवाद द्वारा विचारधाराओं में सन्तुलन साधने का प्रयास किया, डा0 अम्बेडकर ने स्वाधीनता को समाज में व्याप्त विषमता को खत्म कर दलितों के उद्धार से जोड़ा....। इस आन्दोलन में जहाँ हिन्दू-मुसलमान एकजुट होकर लड़े, दलितों-आदिवासियों-किसानों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। तमाम नारियों ने समाज की परवाह न करते हुये परदे की ओट से बाहर आकर इस आन्दोलन में भागीदारी की।

स्वाधीनता का आन्दोलन सिर्फ इतिहास के लिखित पन्नों पर नहीं है, बल्कि लोक स्मृतियों में भी पूरे ठाठ-बाट के साथ जीवित है। तमाम साहित्यकारों व लोक गायकों ने जिस प्रकार से इस लोक स्मृति को जीवंत रखा है, उसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। वैसे भी पिस्तौल और बम इन्कलाब नहीं लाते बल्कि इन्कलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है (भगत सिंह)। यह अनायास ही नहीं है कि अधिकतर नेतृत्वकर्ता और क्रान्तिकारी अच्छे विचारक, कवि, लेखक या साहित्यकार थे। तमाम रचनाधर्मियों ने इस ‘क्रान्ति यज्ञ’ में प्रेरक शक्ति का कार्य किया और स्वाधीनता आन्दोलन को एक नयी परिभाषा दी।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस बात की आवश्यकता है कि राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के तमाम छुये-अनछुये पहलुओं को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाये और औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों को खत्म किया जाये। इतिहास के पन्नों में स्वाधीनता आन्दोलन के साक्षात्कार और इसके गहन विश्लेषण के बीच आत्मगौरव के साथ-साथ उससे जुड़े सबकों को भी याद रखना जरूरी है। राजनैतिक स्वतन्त्रता से परे सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी सच्चे अर्थों में हमारा ध्येय होना चाहिए। इसी क्रम में युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास से रूबरू कराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, पर उससे पहले इतिहास को पाठ्यपुस्तकों से निकालकर लोकाचार से जोड़ना होगा।

(चित्र में : बेटी अपूर्वा और अक्षिता (पाखी) तिरंगे के साथ, जिसे उन्होंने मिलकर बनाया और कलर किया है)

स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को शुभकामनायें !!

सोमवार, 12 अगस्त 2013

Glimpses of the '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' at Allahabad

The '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' was inaugurated at the Nirala Art Gallery of Allahabad University, on Monday, 12th august 2013. Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region, inaugurated the two days photo exhibition at 1 pm. The winning entries of the 9th All India Photo Salon hosted by the social organisation Sri Ganga Kalyan Sewa Samiti, were exhibited in the photo-exhibition. The inaugural function was presided by Dr Ajay Jaitley, Head of the Visual Arts department of Allahabad University and District magistrate, Allahabad Mr. Rajshekhargrace the fuction as Guest of honour. The photo competition was participated by over a hundred photographers from all parts of the country, in monochrome, colour, nature, photo journalism and travel categories, informed Jitendra Prakash, secretary of the organisation.


      (Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region Inaugurating '9th All India Laxmi salon of Photography -2013' by Ribbon-Cut, at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.)


( (Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region Inaugurating '9th All India Laxmi salon of Photography -2013' by lighting-lamp, at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.)


(A view of Photographs exhibited at '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.


(A view of Photographs exhibited by Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region along with Jitendra Prakash, Secretary, Shri Ganga kalyan Sewa samiti after Inaugurating of '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.)

(Mr. Krishna Kumar yadav, Director Postal Services, Allahabad Region and Mr. Rajshekhar, District Magistrate, Allahabad on dais during '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.)


(Mr. Krishna Kumar yadav, Director Postal Services, Allahabad Region, Mr. Rajshekhar, District Magistrate, Allahabad, Dr. Ajay Jaitly , Head of the Visual Arts department of Allahabad University on the dais during '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013. )


(Address by Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region at '9th All India Laxmi salon of Photography -2013' at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.) 


(Mr. Krishna Kumar yadav, Director Postal Services, Allahabad Region, Mr. Rajshekhar, District Magistrate, Allahabad, Dr Ajay Jaitley, Head of the Visual Arts department of Allahabad University and others during '9th All India Laxmi salon of Photography-2013' at Nirala Art Gallery, University of Allahabad on 12th August 2013.)

श्री गंगा कल्याण समिति की ओर से दो दिवसीय नौवीं अखिल भारतीय लक्ष्मी छायाचित्र प्रदर्शनी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निराला आर्ट गैलरी में 12 अगस्त को शुरू हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें, कृष्ण कुमार यादव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इस तरह की छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि फोटोग्राफी एक विधा के साथ-साथ हमारे समाज और परिवेश का प्रतिबिंब भी है। मात्र आड़ी तिरछी लाइनें खींचनी ही फोटोग्राफी नहीं हैं बल्कि उसका यथार्थ भी निकलना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी राजशेखर ने फोटो प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन होना चाहिए जिससे कि कुछ नयापन लोगों को देखने को मिले। उन्होंने कहा कि छायाचित्र अपनी संस्कृति की पहचान को बढ़ावा देते हैं।  इससे अधिक से अधिक लोगों को जुड़ना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 अजय जेतली ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यकारों, कलाकारो का कर्मक्षेत्र रहा है। इस शहर से सभी क्षेत्रों में लोगांे में पहचान भी बनायी है।

छायाचित्र प्रदर्शनी के सचिव जितेन्द्र प्रकाश ने प्रदर्शनी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अगले वर्ष से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के छायाकारों के भी छायाचित्र प्रदर्शनी में देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस बार छायाचित्र प्रदर्शनी में 119 फोटोग्राफरों की 1160 तस्वीरें आयी थीं। श्रीमती लक्ष्मी अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में वीरेन्द्र पाठक, एस के यादव, राजेश सिंह, पवन द्विवेदी, संजोग मिश्रा, विरेन्द्र प्रकाश, केनिथ जान, अनुराग अस्थाना, अमरदीप, रजत शर्मा, संजीव बनर्जी, संजय सक्सेना सहित बड़ी संख्या में छायाकार और अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष नारायण ने किया।

बुधवार, 7 अगस्त 2013

भारतीय भाषा संवर्धन परिषद में हिन्दी भाषा हेतु डा0 बद्री नारायण तिवारी सदस्य नामित

( डा. बद्री नारायण तिवारी जी का नाम बहुतों के लिए अनजान नहीं है। कानपुर में 'मानस संगम' और  डा. बद्री नारायण तिवारी एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं। कानपुर में पोस्टिंग के दौरान ही उनसे मुलाकात हुई और आज भी हम एक-दूसरे को याद करते रहते हैं। कल ही उनका फोन आया और पता चला कि भारतीय भाषा संवर्धन परिषद में हिन्दी भाषा हेतु उन्हें सदस्य नामित किया गया है और उन्होंने  अपना कार्य आरंभ भी कर दिया है ......हमारी तरफ से बहुत सारी  शुभकामनाएं और यह आशा भी कि वे हिंदी के संवर्धन और प्रचार-प्रसार के लिए तत्पर रहेंगें !!)


भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हिन्दी सहित 22 भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए पुर्नगठित ’भारतीय भाषा संवर्धन परिषद’ (सीपीआईएल) में प्रतिष्ठित हिन्दी एवं साहित्य सेवी डा0 बद्री नारायण तिवारी को हिन्दी भाषा के लिए सदस्य मनोनीत किया है। दो वर्ष के लिए पुर्नगठित यह परिषद संविधान में मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं के विकास-प्रसार हेतु भारत सरकार को अपने सुझाव देगी।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा गठित इस परिषद के अध्यक्ष मानव संसाधन विकास मंत्री एवं उपाध्यक्ष राज्यमंत्री हैं। उच्चतर शिक्षा सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एवं भारतीय भाषाओं के केन्द्रीय संस्थान (सीआईआईएल, मैसूर) के निदेशक सहित कुल 27 सदस्य परिषद में हैं ।

परिषद में राष्ट्र भाषा हिन्दी के लिए डा0 बद्री नारायण तिवारी, उर्दू के लिए प्रो0 गोपीचंद नारंग, संस्कृत के लिए राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (दिल्ली) के प्रो0 राधा बल्लभ त्रिपाठी, मैथिली के लिए प्रो0 मायानन्द मिश्र, सिंधी के लिए वासुदेव मोही एवं कन्नड़ भाषा के लिए फिल्मी हस्ती गिरीश कर्नाड को मनोनीत किया गया है।


उल्लेखनीय है कि डा0 बद्री नारायण ने हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर प्रतिष्ठित करने और इसे 21वीं सदी की भाषा के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। डा0 तिवारी ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के सदस्य, उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और हिन्दी उर्दू समिति के संरक्षक के रूप में हिन्दी की अहर्निश सेवा की है। हिन्दी सेवा में उनके योगदान और कृतित्व के लिए अब तक सैकड़ों संस्थाओं ने उनका सम्मान किया है। मारीशस सरकार द्वारा उन्हें महर्षि अगस्त्य सम्मान एवं डा0 कर्ण सिंह द्वारा विश्व हिन्दी प्रतिष्ठान भी सम्मानित कर चुका है। श्री तिवारी पर दो शोध एवं चार लघु शोध अब तक किए जा चुके है। तीसरा शोध आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम विश्वविद्यालय में किया जा रहा है।

( चित्र 1 में : डा0 बद्री नारायण तिवारी और कृष्ण कुमार यादव )

( चित्र 2 में : एक पुस्तक के विमोचन अवसर पर कृष्ण कुमार यादव, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान  के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष शम्भु नाथ जी, विख्यात हिंदी कमेंटटर जसदेव सिंह जी, नवनीत के पूर्व संपादक गिरिजा शंकर त्रिवेदी जी एवं डा0 बद्री नारायण तिवारी )