समर्थक / Followers

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

महाकुंभ प्रयाग में गंगा एक्शन परिवार द्वारा डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव सम्मानित


       (फिल्म अभिनेता विवेक ओबॅराय और स्वामी चिदानंद मुनि जी ने दिया सम्मान)

महाकुंभ, प्रयाग-2013 के दौरान उत्कृष्ट विभागीय सेवाओं के साथ-साथ पर्यावरण एवं गंगा-सरंक्षण में समृद्ध योगदान हेतु गंगा एक्शन परिवार द्वारा इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें श्री कृष्ण कुमार यादव को सम्मानित किया गया।

माघ-पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर अरैल, कुंभ क्षेत्र स्थित परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के शिविर मंे आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में कृष्ण कुमार यादव को यह सम्मान फिल्म अभिनेता विवेक ओबॅराय, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष व गंगा एक्शन परिवार के मुखिया स्वामी चिदानंद सरस्वती ’मुनि जी’ ने दिया। ’ग्रीन एंड क्लीन कुंभ’ की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में श्री यादव को बॅालीवुड अभिनेता विवेक ओबॅराय ने सम्मान स्वरूप पौधे भेंट किए एवं आशा व्यक्त की कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनका योगदान यूं ही समाज व राष्ट्र को प्राप्त होता रहेगा। स्वामी चिदानंद सरस्वती ’मुनि जी’ ने कृष्ण कुमार को स्नेहाशीष देते हुए कहा कि देश को युवा पीढ़ी से काफी अपेक्षायें है और श्री यादव इस भाव-भूमि पर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर डाक विभाग द्वारा कुंभ की बेला में जारी विशेष आवरणों का सेट निदेशक डाक सेवाएँ, इलाहबाद परिक्षेत्र कृष्ण कुमार यादव ने फिल्म अभिनेता विवेक ओबेराय, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि और अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा को भी भेंट किया। विवेक ओबेराय और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने डाक-विभाग की इस पहल को सराहा, जिसके माध्यम से देश-विदेश में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो रहा है।
 
(गोआ के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिगंबर कामत व महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री कृपाशंकर सिंह के साथ कृष्ण कुमार यादव)
इस अवसर पर गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिगंबर कामत, महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री कृपाशंकर सिंह, अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा, मेजर जनरल विशंभर दयाल सहित तमाम गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
डा0 विनय कुमार शर्मा,
सम्पादक - संचार बुलेटिन
448/119/76, कल्याणपुरी, ठाकुरगंज, चैक, लखनऊ-226003

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनने वाले पहले हिंदी साहित्यकार बने विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध कवि, आलोचक व लेखक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी जी का चयन और हिन्दी परामर्श मंडल के संयोजक रूप में प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित जी का चयन पूरे हिंदी-साहित्य समाज के लिए गौरव की बात है। संयोगवश पिछले दिनों मुझे इन दोनों महानुभावों के साथ सम्मानित होने का सु-अवसर भी प्राप्त हुआ।

 1 नवम्बर, 2012 को विश्वनाथ प्रसाद तिवारी जी के साथ मुझे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सपत्नीक 'अवध सम्मान' लेने का गौरव प्राप्त हुआ,

 14 सितम्बर 2012 को प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित जी के साथ साहित्यमंडल श्रीनाथद्वारा में मेरा सम्मान हुआ।

दोनों विद्वत जन को इस सु-चयन हेतु मेरी तरफ से हार्दिक बधाइयाँ।आशा है कि हिंदी साहित्य आपके दिशानिर्देशन में नए मुकाम हासिल कर सकेगा - कृष्ण कुमार यादव

                                         *******************************

हिन्दी साहित्य के अनवरत साधक एवं प्रसिद्ध कवि, आलोचक व लेखक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को  सोमवार को साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है। वह अकादमी के अध्यक्ष बनने वाले हिन्दी के पहले साहित्यकार हैं। इस पद के लिए उनका चयन सर्वसम्मति से हुआ । वे अकादमी के 12वें अध्यक्ष होंगे। इनकी नियुक्ति नियमानुसार पांच वर्ष के लिए है।
 
साहित्य अकादमी की कार्यकारी परिषद की बैठक में प्रसिद्ध साहित्यकार विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को अकादमी का 12वां अध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड के लेखक चंद्रशेखर कंबर को अकादमी का उपाध्यक्ष और सूर्य प्रसाद दीक्षित को हिन्दी परामर्श मंडल का संयोजक चुना गया।

अकादमी के रवीन्द्र सभागार में हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में बोर्ड के 86 सदस्यों में से 79 सदस्य उपस्थित थे। सभी का चुनाव निर्विरोध रूप से किया गया। साहित्य अकादमी के तत्कालीन अध्यक्ष और बांग्ला लेखक सुनील गंगोपाध्याय का 23 अक्तूबर 2012 को दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इसके बाद उपाध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी बतौर कार्यकारी अध्यक्ष काम कर रहे थे।
 
तिवारी को वर्ष 2010 में बिरला फाउंडेशन व्यास सम्मान व उत्तर प्रदेश के हिन्दी गौरव व साहित्य भूषण का सम्मान मिल चुका है। उनकी रचनाओं में सात हिन्दी कविता संग्रह शोध व आलोचना की 11 पुस्तकें शामिल हैं। दस्तावेज जैसी प्रमुख पत्रिका के अलावा इन्होंने 14 पुस्तकों का संपादन भी किया है।
 
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जन्में तिवारी ने कहा कि भारतीय साहित्य को लेकर विशेष कार्य करने की जरुरत है। इसके तहत भारतीय भाषाओं की कृतियों व लेख को विदेशों में भी लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम नोबेल पुरस्कार प्राप्त कृतियों को देखते हैं तो भारतीय साहित्य उनसे किसी भी मायने में कमतर नहीं हैं।  उन्होंने बताया कि अकादमी का मुख्य कार्य साहित्य का प्रचार-प्रसार करना है। इसके लिए सभी भाषाओं के योग्य लेखकों को मंच पर आमंत्रित किया जाएगा। मालूम हो कि वर्ष 2001 में गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर व अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त तिवारी वर्ष 2008 में साहित्य अकादमी के हिन्दी संरक्षक व कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे हैं।

गौरतलब है कि साहित्य अकादमी की स्थापना 12 मार्च 1954 में की गयी थी। इसके पहले अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जो 1954 से 1964 तक सर्वाधिक लंबे समय तक अकादमी के अध्यक्ष रहे। पहले उपाध्यक्ष डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जो 1954 से 1960 तक इस पद पर रहे।

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा : 18 फरवरी 1911 को कुम्भ मेले पर इलाहाबाद में हुई थी शुरू

कुम्भ अपने साथ तमाम ऐतिहासिकताओं को भी जोडे हुए है। सिर्फ राष्ट्रीय स्तर  पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी। इलाहाबाद को यह सौभाग्य प्राप्त है कि दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा यहीं से आरम्भ हुई।  यह ऐतिहासिक घटना 101 वर्ष पूर्व 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था। उस दिन दिन  फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने एक नया इतिहास रचा था। वे अपने विमान में इलाहाबाद से नैनी के लिए 6500 पत्रों को अपने साथ लेकर उडे। विमान था हैवीलैंड एयरक्राफ्ट और इसने दुनिया की पहली सरकारी डाक ढोने का एक नया दौर शुरू किया।

इलाहाबाद में उस दिन डाक की उड़ान देखने के लिए लगभग एक लाख लोग इकट्ठे हुए थे जब एक विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा जो इलाहाबाद के बाहरी इलाके में सेंट्रल जेल के नजदीक था। आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम ‘यूपी एक्जीबिशन’ था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया। इलाहाबाद से नैनी जंक्शन तक का हवाई सफ़र आज से 101 साल पहले मात्र  13 मिनट में पूरा हुआ था।

हालांकि यह उडान महज छह मील की थी, पर इस घटना को लेकर इलाहाबाद में ऐतिहासिक उत्सव सा वातावरण था। ब्रिटिश एवं कालोनियल एयरोप्लेन कंपनी ने जनवरी 1911 में प्रदर्शन के लिए अपना एक विमान भारत भेजा थाए जो संयोग से तब इलाहाबाद आया जब कुम्भ का मेला भी चल रहा था। वह ऐसा दौर था जब जहाज देखना तो दूर लोगों ने उसके बारे में ठीक से सुना भी बहुत कम था। ऐसे में इस ऐतिहासिक मौके पर अपार भीड होना स्वाभाविक ही था। इस यात्रा में हेनरी ने इतिहास तो रचा ही पहली बार आसमान से दुनिया के सबसे बडे प्रयाग कुंभ का दर्शन भी किया।

कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी। मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा।

इस पहली हवाई डाक सेवा का विशेष शुल्क छह आना रखा था और इससे होने वाली आय को आक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज हास्टल इलाहाबाद को दान में दिया गया। इस सेवा के लिए पहले से पत्रों के लिए खास व्यवस्था बनाई गई थी। 18 फरवरी को दोपहर तक इसके लिए पत्रों की बुकिंग की गई। पत्रों की बुकिंग के लिए आक्सफोर्ड कैंब्रिज हॉस्टल में ऐसी भीड लगी थी कि उसकी हालत मिनी जीपीओ सरीखी हो गई थी। डाक विभाग ने यहां तीन चार कर्मचारी भी तैनात किए थे। चंद रोज में होस्टल में हवाई सेवा के लिए 3000 पत्र पहुंच गए। एक पत्र में तो 25 रूपये का टिकट लगा था। पत्र भेजने वालों में इलाहाबाद की कई नामी गिरामी हस्तियां तो थी हीं, राजा महाराजे और राजकुमार भी थे।

कृष्ण कुमार यादव
निदेशक डाक सेवायें, इलाहाबाद परिक्षेत्र,  इलाहाबाद 
 

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

प्रिया आ ! : अथर्ववेद में समाहित दो प्रेम गीत

वेलेण्टाइन डे का असर अभी से दिखने लगा है. चारों तरफ प्यार की धूम मची है. अब तो यह पूरा व्यवसाय हो गया है. हर कोई इसे अपने ढंग से यादगार बनाना चाह रहा है. फ़िलहाल प्यार की इस फिजा में वसंत के अहसास के बीच वेलेण्टाइन डे पर अथर्ववेद में समाहित दो प्रेम गीतों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है-

प्रिया आ !
मत दूर जा
लिपट मेरी देह से
लता लतरती ज्यों पेड़ से
मेरे तन के तने पर
तू आ टिक जा
अंक लगा मुझे
कभी न दूर जा
पंछी के पंख कतर
ज़मीं पर उतार लाते ज्यों
छेदन करता मैं तेरे दिल का
प्रिया आ, मत दूर जा।
धरती और अंबर को
सूरज ढक लेता ज्यों
तुझे अपनी बीज भूमि बना
आच्छादित कर लूंगा तुरंत
प्रिया आ, मन में छा
कभी न दूर जा
आ प्रिया!


हे अश्विन!
ज्यों घोड़ा दौड़ता आता
प्रिया-चित्त आए मेरी
ओर
ज्यों घुड़सवार कस
लगाम
रखता अश्व वश में
रहे तेरा मन
मेरे वश में
करे अनुकरण सर्वदा
मैं खींचता तेरा चित्त
ज्यों राजअश्व खींचता
घुड़सवार
अथित करूं तेरा हृदय
आंधी में भ्रमित तिनके जैसा
कोमल स्पर्श से कर
उबटन तन पर
मधुर औषधियों से
जो बना
थाम लूं मैं हाथ
भाग्य का कस के।

 
( आकांक्षा जी के ब्लॉग 'शब्द-शिखर' से )