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शनिवार, 1 मई 2010

दुनिया भर के मजदूरों एक हो (श्रमिक दिवस)

17 टिप्‍पणियां:

Shyama ने कहा…

मजदूर दिवस पर सारगर्भित प्रस्तुति...के.के. यादव जी को साधुवाद !!

Unknown ने कहा…

श्रमिक दिवस के बहाने सुन्दर कविता रची..हार्दिक बधाई.

Unknown ने कहा…

श्रमिक दिवस के बहाने सुन्दर कविता रची..हार्दिक बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

कविता ही सही, पर व्यवस्था पर सीधी चोट...मजदूर तो हर तरफ से मार खा रहे हैं. काहे की बधाई दें.

बेनामी ने कहा…

मजदूर दिवस पर प्रासंगिक रचना...दिवस की बधाई.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

पर आड़े आते हैं नेता और दलाल
आखिर फिर इन्हें कौन पूछेगा

सही बात है।
मजदूर बेचारा , ऐसा ही रहेगा।

मन-मयूर ने कहा…

मजदूर दिवस पर खूब लिखा...मजदूरों की तरफदारी के लिए आपको बधाई.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

श्रमिकों की व्यथा को शब्द देती सुन्दर कविता..बधाई !!

KK Yadav ने कहा…

आप सभी की टिप्पणियों व प्रोत्साहन के लिए आभार !!

Akanksha Yadav ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति. दुर्भाग्य से समाज में मजदूर वर्ग की यही नियति बन गई है. उनके नेता बिक गए हैं..मजदूर खामोश है !

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बढ़िया है...हमें भी लेबर डे के बारे में पता चल गया.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता..बधाई.

Bhanwar Singh ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है!बधाई.

S R Bharti ने कहा…

श्रमिक दिवस पर बहुत अच्छी प्रस्तुति . मजदूरों के सम्बन्ध में संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है...बधाई.

Shahroz ने कहा…

श्रमिक दिवस पर सुन्दर अभिव्यक्ति...बधाई.

raghav ने कहा…

बहुत खूब! लाजवाब! हर एक शब्द दिल को छू गयी! बेहद सुन्दर रचना!

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

श्रमिकों के मन की अंतर्वेदना का भावपूर्ण चित्रण..शानदार है.