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शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

पुस्तकों के प्रति आकर्षण जरुरी (विश्व पुस्तक दिवस पर)

पढना किसे अच्छा नहीं लगता। बचपन में स्कूल से आरंभ हुई पढाई जीवन के अंत तक चलती है. पर दुर्भाग्यवश आजकल पढ़ने की प्रवृत्ति लोगों में कम होती जा रही है. पुस्तकों से लोग दूर भाग रहे हैं. हर कुछ नेट पर ही खंगालना चाहते हैं. शोध बताते हैं कि इसके चलते लोगों की जिज्ञासु प्रवृत्ति और याद करने की क्षमता भी ख़त्म होती जा रही है. बच्चों के लिए तो यह विशेष समस्या है. पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती हैं. पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि कला-संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में भी बताती हैं. नेट पर लगातार बैठने से लोगों की आँखों और मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरुरी हो गया है. इसके अलावा तमाम बच्चे गरीबी के चलते भी पुस्तकें नहीं पढ़ पाते, इस ओर भी ध्यान देने की जरुरत है. 'सभी के लिए शिक्षा कानून' को इसी दिशा में देखा जा रहा है.


आज विश्व पुस्तक दिवस है. यूनेसको ने 1995 में इस दिन को मनाने का निर्णय लिया, कालांतर में यह हर देश में व्यापक होता गया. लोगों में पुस्तक प्रेम को जागृत करने के लिए मनाये जाने वाले इस दिवस पर जहाँ स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई की आदत डालने के लिए सस्ते दामों पर पुस्तकें बाँटने जैसे अभियान चलाये जा रहे हैं, वहीँ स्कूलों या फिर सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शनियां लगाकर पुस्तक पढ़ने के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. स्कूली बच्चों के अलावा उन लोगों को भी पढ़ाई के लिए जागरूक किया जाना जरुरी है जो किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं। बच्चों के लिए विभिन्न जानकारियों व मनोरंजन से भरपूर पुस्तकों की प्रदर्शनी जैसे अभियान से उनमें पढ़ाई की संस्कृति विकसित की जा सकती है. पुस्तकालय इस सम्बन्ध में अहम् भूमिका निभा सकते हैं, बशर्ते उनका रख-रखाव सही ढंग से हो और स्तरीय पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं वहाँ उपलब्ध कराई जाएँ। वाकई आज पुस्तकों के प्रति ख़त्म हो रहे आकर्षण के प्रति गंभीर होकर सोचने और इस दिशा में सार्थक कदम उठाने की जरुरत है. विश्व पुस्तक दिवस पर अपना एक बाल-गीत भी प्रस्तुत कर रहा हूँ-




प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक

ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक

कला-संस्कृति, लोकजीवन की

कहती है कहानी पुस्तक।


अच्छी-अच्छी बात बताती

संस्कारों का पाठ पढ़ाती

मान और सम्मान बड़ों का

सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।



सीधी-सच्ची राह दिखाती

ज्ञान पथ पर है ले जाती

कर्म और कर्तव्य हमारे

सदगुण हमें सिखाती पुस्तक।

20 टिप्‍पणियां:

Shyama ने कहा…

Bahut sundar jankari..shandar bal-geet..badhai.

Bhanwar Singh ने कहा…

gबहुत सही कहा आपने पुस्तकों के प्रति आकर्षण ख़त्म हो रहा है. लोग नेट की ओर भाग रहे हैं. इस तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है. विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनायें !!

Unknown ने कहा…

अच्छी-अच्छी बात बताती
संस्कारों का पाठ पढ़ाती
मान और सम्मान बड़ों का
सुन्दर सीख सिखाती पुस्तक।

....बहुत सुन्दर बाल गीत..बधाई.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

पुस्तक दिवस के बारे में नई जानकारी. इसके बारे में तो बहुतों को पता नहीं. इस जानकारी के लिए आभार.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

पुस्तक दिवस के बारे में नई जानकारी. इसके बारे में तो बहुतों को पता नहीं. इस जानकारी के लिए आभार.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

नेट पर लगातार बैठने से लोगों की आँखों और मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरुरी हो गया है. इसके अलावा तमाम बच्चे गरीबी के चलते भी पुस्तकें नहीं पढ़ पाते, इस ओर भी ध्यान देने की जरुरत है....सहमत हूँ.

Akanksha Yadav ने कहा…

नई-नवेली जानकारी और उस पर से ये प्यारा गीत...गुनगुनाने का मन कर रहा है.

Shahroz ने कहा…

कल पृथ्वी दिवस और आज पुस्तक दिवस...दिवसों का पर्व चल रहा है. बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

बहुत सुन्दर विवेचना. इस तरफ सभी को सोचना चाहिए.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

के.के. भाई, आपके बाल गीत के क्या कहने.

S R Bharti ने कहा…

मुझे तो पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है. इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए धन्यवाद.

मन-मयूर ने कहा…

प्यारी पुस्तक, न्यारी पुस्तक
ज्ञानदायिनी प्यारी पुस्तक
कला-संस्कृति, लोकजीवन की
कहती है कहानी पुस्तक।

++++++++बहुत सुन्दर बात.पुस्तक दिवस की शुभकामनायें.

KK Yadav ने कहा…

आप सभी का प्रोत्साहन व प्रतिक्रियाओं के लिए आभार.

शरद कुमार ने कहा…

ज्ञान में वृद्धि हुई..आभार. विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनायें !!

raghav ने कहा…

बेहतरीन पोस्ट सर. पुस्तकों के प्रति प्रेम ही किसी समाज को सभ्य व सांस्कारिक बनाता है.

M VERMA ने कहा…

सुन्दर आलेख
हम ब्लागर पुस्तकों से दूर तो नहीं होते जा रहे हैं !

Amit Kumar Yadav ने कहा…

बहुत दिलचस्प व नवीन बात...जानकारी भी, सोचनीय भी !!

बेनामी ने कहा…

मुझे भी पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है. इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए आभार.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

मुझे भी पढना खूब अच्छा लगता है...

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

books are best friends aapne sahi kaha hai