समर्थक / Followers

गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

धरती से मरूभूमि भगाएं (पृथ्वी दिवस पर प्रस्तुति)



सुन्दर-सुन्दर वृक्ष घनेरे

सबको सदा बुलाते

ले लो फल-फूल सुहाने

सब कुछ सदा लुटाते।


करते हैं जीवन का पोषण

नहीं करो तुम इनका शोषण

धरती पर होगी हरियाली

तो सारे जग की खुशहाली।


वृक्ष कहीं न कटने पाएं

संकल्पों के हाथ उठाएं

ढेर सारे पौधे लगाकर

धरती से मरूभूमि भगाएं।

17 टिप्‍पणियां:

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

k yadavji there is same need of humnisation of nature and naturalisation of man by monish raza former prof. j n u bahut achcha prayas hai aapaka

Shekhar Kumawat ने कहा…

wow !!!!!!!!

bahut khub


shkehar kumawat

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जी

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

विश्व पृथ्वी दिवस पर सुन्दर सन्देश देती पोस्ट..हार्दिक बधाई !!

Shyama ने कहा…

बेहतरीन लिखा..विश्व पृथ्वी दिवस पर शुभकामनायें.

Unknown ने कहा…

पृथ्वी दिवस पर सुन्दर सन्देश देता प्यारा बाल-गीत. वाकई इस ओर सोचने की जरुरत है.

S R Bharti ने कहा…

आज सभी लोग संकल्प लेंगें कि कभी भी किसी पेड़-पौधे को नुकसान नहीं पहुँचायेंगे, पर्यावरण की रक्षा करेंगे, अपने चारों तरफ खूब सारे पौधे लगायेंगे और उनकी नियमित देख-रेख भी करेंगे. विश्व पृथ्वी दिवस पर शुभकामनायें.

S R Bharti ने कहा…

कविता तो शानदार है..बधाई.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

भैया, अब तक तो बहुत सारे ई सुना था, अब ये ई-पार्क पहली बार सुन रहा हूँ. आपकी ताका-झांकी पर प्रकाशित कविता ई-पार्क अभी भले ही काल्पनिक लगे, पर आने वाले दिनों की सच्चाई तो यही है.

आपका बाल-गीत भी गुनगुना रहा हूँ...

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

करते हैं जीवन का पोषण

नहीं करो तुम इनका शोषण

धरती पर होगी हरियाली

तो सारे जग की खुशहाली।

....बहुत सुन्दर पंक्तियाँ. सार्थक सन्देश. पृथ्वी दिवस की बधाई.

Bhanwar Singh ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति. बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी सन्देश देती बाल-कविता. विश्व पृथ्वी दिवस पर शुभकामनायें.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

पुरखों सी पेड़ों की छाया,
शीतल कर दे जलती काया.
***विश्व पृथ्वी दिवस पर खूब पौधे लगायें और धरती को सुन्दर व स्वच्छ बनायें***

Shahroz ने कहा…

बहुत सुकून देती है आपकी यह बाल कविता. सुन्दर भाव, प्रबल सन्देश.हार्दिक बधाई !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Bahut pyari si kavita ke dwara sandesh diya..achha laga.

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
तुम तैश में आकर जो इन्हें काट रहे हो,
जब सर पे धूप होगी शज़र याद आएंगे।

शरद कुमार ने कहा…

आज विश्व पृथ्वी दिवस है ****

"समुद्रवसने देवी पर्वतस्तनमण्डले !
विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्शम् क्षमस्व मे !!

माँ मेदनी को नमन *** !!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सार्थक सन्देश देती रचना ।